Science, asked by akhilesh8290, 24 days ago

(1) रक्त में उपस्थित
02 को ढोने का कार्य करती है।​

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Answered by priyanitinpawar
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Answer:

रक्त ऑक्सीक्षीणता (Anoxaemia) रुधिर का एक गुण यह है कि वह ऑक्सीजन को अवशोषित कर, विविध अंगों और ऊतकों तक पहुँचाता है, जहाँ उसका उपयोग होता है। इस प्रकार जीवों के रुधिर में अवशोषित ऑक्सीजन की थोड़ी मात्रा रहती ही है। किन्हीं स्थितियों में रक्त ऑक्सीजन का औसत परिमाण पर्याप्त कम हो जा सकता है, इस अवस्था को रुधिर ऑक्सीक्षीणता (anoxic anoxia)। इस अवस्था में रुधिर में ऑक्सीजन का आंशिक दबाव अवनमित हो जाता है। जब ऑक्सीजन का आंशिक दबाव अवनमित हो जाता है तब धमनीय रुधिर (arterial blood) में ऑक्सीजन की संतृप्ति (saturation) भी निम्न पड़ जाती है। जब भी किन्हीं कारणों से फेफड़ों में रुधिर का उचित ऑक्सीजनीकरण अवरुद्ध हो जाता है, यह अवस्था उत्पन्न होती है। अधोलिखित परिस्थितियाँ इसे उत्पन्न करती हैं:

(क) साँस लेनेवाली हवा में ऑक्सीजन का न्यूनीकृत दबाव,

(ख) फेफड़ों के रोग जिनसे गैसीय विनिमय (gaseous interchange) निरुद्ध हो जाता है और

(ग) स्पष्ट अंडाकार रंध्र (foramen ovale) के कारण जन्मजात हृद्रोग।

(क) जब मनुष्य ऊपर की ओर उड़ता है तब ऑक्सीजन का दबाव क्रमश: कम होता जाता है और ऊँचाई की ऐसी स्थिति आ सकती है जब वह समुचित मात्रा में ऑक्सीजन न प्राप्त कर सके। इसलिए अतिरिक्त ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए ऑक्सीजन के पात्र साथ ले जाए जाते हैं।

(ख) कुछ रोगों से ग्रस्त मनुष्य, फुप्फुस ऊतकों की कमी के कारण, निश्वसित ऑक्सीजन को अवशोषित नहीं कर पाता, जिससे ऑक्सीजन के सामान्य परिमाण से रुधिर संतृप्त नहीं होता। इस क्षति की पूर्ति के लिए श्वसनदर की संख्या बढ़ जाती है।

(ग) जन्मजात हृद्रोग - इसमें बाएँ हृदय का रुधिर दाएँ हृदय के रुधिर से मिश्रित हो जाता है और इस प्रकार ऑक्सीजनीकृत और अनाक्सीजनीकृत रुधिर मिश्रित हो जाता है, जिससे फेफड़ों में उचित परिसंचरण तथा संतृप्ति नहीं हो पाती और यह दशा उत्पन्न होती है।

अब हम इस रोग से ग्रस्त जीवों के शरीरस्थ रुधिर के रसायन पर विचार करेंगे। प्रस्तुत निदर्श चित्र तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए है। चित्र में धमनी रुधिर (arterial blood) और शिरारुधिर (venous blood) की ऑक्सीजन संतृप्ति, सामान्य स्थिति और रक्त ऑक्सीक्षीणता की स्थिति में दिखाई गई है। प्रत्येक स्तंभ का काला भाग रक्त में अपचयित हीमोग्लोबिन का प्रतिशत और श्वेत भाग ऑक्सीहीमोग्मोग्लोबिन को निरूपित करता है। सामान्य स्थिति में व्यक्ति के रुधिर की प्रारंभिक ऑक्सीजन धारिता एक सी थी। तीरों से ऑक्सीजन उपयोगीकरण के गुणांक, अर्थात ऊतकों द्वारा एक इकाई रक्त से हटाए हुए ऑक्सीजन के आयतन दर्शाए गए हैं। हम यह मानकर चले हैं कि मनुष्य ऑक्सीजन के अवनमित दबाव वाले वायुमंडल में साँस लेता है।

सामान्य अस्था में रक्त ऑक्सीक्षीणता की दिशा में फेफड़ों से निकलनेवाले रुधिर में माना जा सकता है किस १०० मिलीलीटर में १५ मिलीलीटर ऑक्सीजन है। ५ प्रतिशत ऊतकों के उपयोग में आता है और अत: शिरारुधिर के प्रति सौ घन सेंटीमीटर में १० घन सेंटीमीटर ऑक्सीजन रह जाता है।

धमनीय और शिरागत असंतृप्तियाँ क्रमश: ५ और १० घन सेंटिमीटर है और केशिका असंतृप्ति (capillary unsaturation) इनकी माध्य होगी, अर्थात् ७.५ प्रतिशत आयतन यह श्यामता (cyanosis) उत्पन्न करेगी।

इस प्रकार श्यामता रक्त ऑक्सीक्षीणता का एक लक्षण है। श्यामता उत्पन्न करने के लिए १०० मिलीलीटर केशिका रुधिर में न्यूनतम ५ ग्राम अपचयित हीमोग्लोबिन होना चाहिए। श्यामता की दशा में त्वचा का रंग बदल कर नीलाभ हो जाता है। यह परिवत्रन होंठ, कान, हाथ, पैर और नाखून से स्पष्ट हो जाता है। रुधिर के ऑक्सीजन दबाव का ह्रास लगभग सभी अंगों से, जैसे हृदय, फेफड़े, या पाद से, लसीका (lymph) प्रवाह को बढ़ा देता है।

इस स्थिति में कुछ अन्य बातें भी स्पष्ट हो जाती हैं। रोगी का हृदय दर बढ़ जाता है, वह दु:श्वासग्रस्त (dyspnoec) हो जाता है और हाँफने लगता है एवं उसे उल्लास, संज्ञाहीनता, उन्माद और स्थिर विचार के रूप में मानसिक विक्षोभ भी होता है।

जब भी रुधिर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, ऊतकों को ऑक्सीजन की प्राप्ति कम होने लगती है। ऐसी स्थिति में ऊतकक्षति (tissue injury) होती है। केंद्रीय तंत्रिकातंत्र और वाहिकातंत्र (vascular system) के ऊतक इस प्रकार की क्षति के लिए सर्वाधिक ग्रहणशील (susceptible) होते हैं। जब भी केशिकाओं की अंत:कलाएँ (endothelium) क्षतिग्रस्त होती है, उनमें से तरल बाहर की ओर रिस पड़ता है और परिसंचरण से तरल की हानि होती है। रक्त ऑक्सीक्षीणता में शरीर पर प्रभावों की तीव्रता (अ) रक्त ऑक्सीक्षीणता के आक्रमण की आकस्मिकता, (ब) उसी मात्रा, (स) अवधि तथा (द) शरीर की सामान्य शरीरक्रियात्मक (physiological) स्थिति से प्रभावित होती है।

शरीर में गैसों का विनिमय वायु कोशिका और ऊतकों द्वारा होता है वायु कुपिका गैस विनिमय का प्राथमिक स्थल है समुद्र तल पर वायु का दाब=760mm/hb ऑक्सीजन का वायु में प्रतिशत = 21% ऑक्सीजन का आंशिक दाब = po2 760*21/100= 159.6 mm of hb

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