1. रसखान जी पर एक सचित्र पाठ योजना तैयार किए।
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‘प्रेमवाटिका’
कवि रसखान कृष्ण के भक्त थे और प्रभु श्रीकृष्ण के सगुण और निर्गुण निराकार रूप के उपासक थे। रसखान ने कृष्ण की सगुण रूप की लीलाओं का बहुत ही खूबसूरत वर्णन किया है. जैसे- बाललीला, रासलीला, फागलीला, कुंजलीला आदि। रसखान ने अपने काव्य की सीमित परिधि में इन असीमित लीलाओं का बहुत सूक्ष्म वर्णन किया है। इन्होने भागवत का अनुवाद फ़ारसी में भी किया।
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने एकबार कुछ मुस्लिम हरिभक्तों के लिये कहा था:
“इन मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिन्दू वारिए”
उनके मत में “रसखान” का नाम भक्तकालीन मुसलमान कवियों में सर्वोपरि है।
कवि रसखान का जन्म
सैय्यद इब्राहीम “रसखान” का जन्म उपलब्ध स्रोतों के अनुसार सन् 1533 से 1558 के बीच कभी हुआ होगा। अकबर का राज्यकाल 1556-1605 है, ये लगभग अकबर के समकालीन हैं। रसखान का जन्मस्थान ‘पिहानी’ कुछ लोगों के मतानुसार दिल्ली के समीप है। कुछ और लोगों के मतानुसार यह ‘पिहानी’ उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले में है।
कवि रसखान की मृत्यु
रसखान की मृत्यु के बारे में कोई प्रामाणिक तथ्य नहीं मिलते हैं।
जीवन परिचय
रसखान के जन्म के संबंध में विद्वानों में काफी मतभेद है। अनेक विद्वानों ने इनका जन्म संवत् 1615 ई. माना है और कुछ विद्वानों ने संवत् 1630 ई. माना है। रसखान स्वयं बताते हैं कि गदर के कारण दिल्ली श्मशान बन चुकी थी, तब उसे छोड़कर वे ब्रज चले गये। ऐतिहासिक साक्ष्य के आधार पर पता चलता है कि उपर्युक्त गदर सन् 1613 ई. में हुआ था। उनकी बात से ऐसा प्रतीत होता है कि वह गदर के समय वयस्क थे और उनका जन्म गदर के पहले ही हुआ होगा। रसखान का जन्म संवत् 1590 ई. मानना अधिक उचित प्रतीत होता है। भवानी शंकर याज्ञिक ने भी यही माना है। अनेक तथ्यों के आधार पर उन्होंने अपने इस मत की पुष्टि भी की है। ऐतिहासिक ग्रंथों के आधार पर भी यही तथ्य सामने आता है। अतः यह मानना ज्यादा सही है कि रसखान का जन्म 1590 ई. में हुआ होगा।
santlal Sharma Katihar Bihar 854105