1. सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।
2. "पानी परात को हाथ छयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।" पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
4. द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।
Answers
Answered by
2
Answer:
ur answer
pls mark as brainliest
Explanation:
- सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अत्यंत व्याकुल हो उठे। कृष्ण, जो दया के सागर हैं, वे अपने मित्र के लिए फूट- फूटकर रोने लगे। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए न तो परात उठाई और न ही पानी; उन्होंने अपने मित्र के पैरों को अपने अश्रुओं से धोया, जो उनकी अंतर्मन की पीड़ा को स्पष्ट करता है।
- पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। उत्तर:- प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हें देखकर व्यथित हो उठे। ... अर्थात् परात में लाया गया जल व्यर्थ हो
- प्रश्न 4: द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? ... वे कृष्ण के व्यवहार से खीझ रहे थे क्योंकि केवल आदर सत्कार करके ही श्रीकृष्ण ने सुदामा को खाली हाथ भेज दिया था। वे तो कृष्ण के पास जाना ही नहीं चाहते थे। परन्तु उनकी पत्नी ने उन्हें भेज दिया।
Answered by
1
सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अत्यंत व्याकुल हो उठे। कृष्ण, जो दया के सागर हैं, वे अपनेr मित्र के लिए फूट- फूटकर रोने लगे। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए न तो परात उठाई और न ही पानी; उन्होंने अपने मित्र के पैरों को अपने अश्रुओं से धोया, जो उनकी अंतर्मन की पीड़ा को स्पष्ट करता
2.पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। उत्तर:- प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हें देखकर व्यथित हो उठे। ... अर्थात् परात में लाया गया जल व्यर्थ हो गया।
4
Similar questions