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“सेठ याचक था और वह दाता' इस वाक्य का आशय स्पष्ट
कीजिए?
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वह आज सेठ बनारसीदास से महान् हो गई थी। सेठ याचक था और वह दाता।” शब्दार्थ-धरोहर = वह वस्तु या द्रव्य जो कुछ समय के लिए दूसरे के पास इस विश्वास से रखी जाए कि मांगने पर उसी रूप में वापस मिल जायेगी; मकरन्द = पराग; गंध-महक; महान् = बड़ी हो गई थी बन गई थी; याचक-भिखारी दाता= दान देने वाली।
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