1- सिंधु-सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित
था।' ऐसा क्यों कहा गया?
(क) इसमें प्रभुत्व या दिखावे के तेवर कहीं दिखाई नहीं देते। यहाँ आम आदमी के काम आने वाली
चीजों को सलीके से बनाया गया है।
राजा का विशाल महल बनाया गया था
(ग) भव्य महल, मंदिर ओर मूर्तियाँ बनाई गई
(घ)
'नरेश के सर पर रखा मुकुट भी बहुत ही बड़ा है।
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सिंधु घाटी के लोगों में कला या सुरुचि का महत्त्व ज्यादा था। वास्तुकला या नगर-नियोजन ही नहीं, धातु और पत्थर की मूर्तियाँ, मृद्-भांड, उन पर चित्रित मनुष्य, वनस्पति और पशु-पक्षियों की छवियाँ, सुनिर्मित मुहरें, उन पर बारीकी से उत्कीर्ण आकृतियाँ, खिलौने, केश-विन्यास, आभूषण और सबसे ऊपर सुघड़ अक्षरों का लिपिरूप सिंधु सभ्यता को तकनीक-सिद्धि से ज्यादा कला-सिद्धि ज़ाहिर करता है। अन्य सभ्यताओं में राजतंत्र और धर्मतंत्र की ताकत को दिखाते हुए भव्य महल, मंदिर ओर मूर्तियाँ बनाई गईं किंतु सिन्धु घाटी सभ्यता की खुदाई में छोटी-छोटी मूर्तियाँ, खिलौने, मृद-भांड, नावें मिली हैं। 'नरेश' के सर पर रखा मुकुट भी छोटा है। इसमें प्रभुत्व या दिखावे के तेवर कहीं दिखाई नहीं देते। यहाँ आम आदमी के काम आने वाली चीजों को सलीके से बनाया गया है।
अतः सिन्धु सभ्यता की खूबी उसका सौन्दर्यबोध है जो कि समाज पोषित है, राजपोषित या धर्मपोषित नहीं है।
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