1)सुयनता यवयलिम्स पाठ का साराोंश अपनेशब्योंमेंयलखखए ।
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हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त शिकार खेलते समय कण्व ऋषि के आश्रम पहुँचे। वहाँ उन्होंने शकुंतला से गंधर्व विवाह किया और निशानी में एक अँगूठी दी। दुष्यन्त की याद में खोई शकुंतला को दुर्वासा ऋषि ने शाप दे दिया। राजा दुष्यन्त शकुंतला को भूल गए। उसे कण्व ऋषि ने पति के पास भेजा। शकुंतला के पास अपनी पहचान के लिए अँगूठी नहीं थी। इस कारण उसे निराश लौटकर कश्यप ऋषि के आश्रम में रहना पड़ा। वहीं पर भरत का जन्म हुआ, जिसे आश्रमवासी सर्वदमन कहते थे। (UPBoardSolutions.com) यह बचपन से ही वीर और साहसी था। दैवयोग से अँगूठी मिल जाने पर दुष्यन्त को शकुंतला की याद आ गई। वे अपने पुत्र व पत्नी को ढूंढकर जंगल से हस्तिनापुर ले आए। भरत की शिक्षा-दीक्षा हस्तिनापुर में ही हुई। आगे चलकर यही भरत चक्रवर्ती सम्राट हुआ। इसके नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा। भरत ने अश्वमेध यज्ञ किया। इसकी कीर्ति सारे विश्व में फैल गई।
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