1. 'सबकी है मिट्टी की काया' का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
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कवि कहता है कि इंसान यह क्यों भूल जाता है 'कि सभी मनुष्यों का शरीर मिट्टी का बना है। यह शरीर नाशवान है। कोई जीव यहाँ अमर होकर नहीं आया। ईश्वर सभी मनुष्य को इस धरती पर जन्म देता है और सबके ऊपर आकाश की निर्मल छाया समान रूप से पड़ती है।
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Answer: I don't know
hi
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