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समाचार लेखन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। 800 words me....
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए वह एक जिज्ञासु है। मनुष्य जिस समूह में, जिस समाज में और जिस वातावरण में रहता है वह उस बारे में जानने को उत्सुक रहता है। अपने आसपास घट रही घटनाओं के बारे में जानकर उसे एक प्रकार के संतोष, आनंद और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
आज ‘समाचार’ शब्द हमारे लिए कोई नया शब्द नहीं है। मनुष्य ने घटनाओं के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए प्राचीन काल से ही तमाम तरह के तरीको, विधियो और माध्यमों को खोजा आरै विकसित किया। पत्र के जरिए समाचार प्राप्त करना इन माध्यमों में सर्वाधिक पुराना माध्यम है जो लिपि और डाक व्यवस्था के विकसित होने के बाद अस्तित्व में आया। पत्र के जरिए अपने प्रियजनां,े मित्रों और शुभाकांक्षियों को अपना समाचार देना और उनका समाचार पाना आज भी मनुष्य के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है। समाचार पत्र, रेडिया, टेलीविजन समाचार प्राप्ति के आधुनिक साधन हैं जो मुद्रण, रेडिया और टेलीविजन जैसी वैज्ञानिक खोज के बाद अस्तित्व में आए हैं। तो आइए समाचार के अर्थ, परिभाषा, तत्व एवं प्रकार के बारे में विस्तार से जानें।
समाचार का अर्थ
सामाजिक जीवन में चलनेवाली घटनाओं के बारे में लोग जानना चाहते हैं, जो जानते हैं वे उसे बताना चाहते हैं। यह जिज्ञासा का भाव मनुष्य में प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ में पत्रकारिता का मूल तत्व है। जिज्ञासा नहीं रहेगी तो समाचार की भी जरूरत नहीं रहेगी। अपने रोजमर्रा के जीवन के बारे में सामान्य कल्पना कीजिए तो पाएंगे कि दो लोग आसपास रहते हैं और लगभग राजे मिलते हैं। इसके बावजदू वह दोनों जब भी मिलते हैं एक दूसरे को एक सामान्य सा सवाल पूछते हैं क्या हालचाल है? या फिर क्या समाचार है? इस सवाल को ध्यान से देखा जाए तो उन दोनो में एक जिज्ञासा बनी रहती है कि जब हम नहीं मिले तो उनके जीवन में क्या क्या घटित हुआ है। हम अपने मित्रों, रिश्तेदारो और सहकर्मियो से हमेशा उनकी कुशलक्षेम या उनके आसपास की घटनाओं के बारे में जानना चाहते हैं। यही जानने की इच्छा ने समाचार को जन्म दिया है।