1.
सतगुरु की महिमा अनंत,अनंत किया उपगार।
लोचन अनंत उघाडिया, अनंत दिखावणहार।।
2. पीई लागा जाइ था, लोक वेद के साथि।
आग थे सतगुर मिल्या, दीपक दीया हाथि।।
3. मधुर वचन है औषधी, कटुक वचन है तीर।
प्रवण द्वार है संचरै, साले सकल शरीर।।
4. माला तो कर में फिरै, जीभ फिरै मुख माहि।
मनवा तो दुहँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहि।
5. आछे दिन पाछे गये, हरि सो किया न हेत। V
अब पछिताए होत का, चिड़िया चुग गई खेत।। ७
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कबीर वाणी
Explanation:
मध्यकालीन ज्ञानमार्गी संत कवि कबीर दास जी ने अपनी कविता के माध्यम से सत्य और ज्ञान का मार्ग दिखाया।
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