1. "सवेरे ही चल दिए होते तो अच्छा था" लेखक ने ऐसा क्यों कहा? स्पष्ट कीजिए।
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सवेरे ही चल दिए होते तो अच्छा था, लेकिन अब 10-11 बजे की तेज़ धूप में चलना पड़ रहा था। तिब्बत की धूप भी बहुत कड़ी मालूम होती है, यद्यपि थोड़े से भी मोटे कपड़े से सिर को ढाँक लें, तो गरमी खतम हो जाती है। ... तिब्बत की ज़मीन बहुत अधिक छोटे-बड़े जागीरदारों में बँटी है। इन जागीरों का बहुत हिस्सा मठों (विहारों) के हाथ में है।
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