1. शंकर ने विप्र जी से गेहूँ क्यों उधार लिया था?
2. विप्र जी ने क्या चालाकी की?
3. विप्र जी के चरित्र की दो विशेषताएँ बताओ।
4. शंकर ने उधार चुकाने के लिए साठ रुपए किस प्रकार एकत्र किए?
5. विप्र जी ने शंकर के बेटे को मज़दूर क्यों बना लिया?
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शंकर ने विप्र जी से गेहूँ क्यों उधार लिया था?
2. विप्र जी ने क्या चालाकी की?
3. विप्र जी के चरित्र की दो विशेषताएँ बताओ।
4. शंकर ने उधार चुकाने के लिए साठ रुपए किस प्रकार एकत्र किए?
5. विप्र जी ने शंकर के बेटे को मज़दूर क्यों बना लिया?
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विप्र महाराज साल में दो बार खलिहानी किया करते थे । शङ्कर ने दिल में कहा, सवा सेर गेहूँ इन्हें क्या लौटाऊँ, पंसेरी के बदले कुछ ज्यादा खलिहानी दे दूंँगा, यह भी समझ जायँगे, मैं भी समझ जाऊँगा। चैत में जब विप्रजी पहुँचे तो उन्हें डेढ पसेरी के लगभग गेहूँ दे दिया और अपने को उऋण समझकर उसकी कोई चरचा न की ।
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