History, asked by dk0548186, 3 months ago

1. शैलचित्र कला के बारे में आप क्या जानते हैं?​

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Answered by ashita167
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Answer:

पुरापाषाण काल एवं मध्यपाषाण काल के शैलाश्रयों में उत्कीर्ण चित्रों से तत्कालीन मानव की कलात्मक अभिव्यक्ति प्रकट होती है। पुरापाषाण काल की शैल चित्रकला के अवशेष भीमबेटका से प्राप्त हुए हैं। इन चित्रों में हरे, लाल रंग भरे गए हैं तथा इन चित्रों में मानव – आकृतियां भी चित्रित की गई हैं। ...

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Answered by mahinsheikh
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Answer:

aslamualaikum..

hi dear all..

thanks for the points and thank you very much for following me dear...

this is your answer in below...

शैलकला यह प्राक इतिहासकालीन संकल्पना है। पत्थरों में खुदाई करके यह शिल्प बनायी गई है। यह चित्र बनाने का कारण इतिहास से पता लगाना कठिन है। पशु, पक्षी, समझ में न आनेवाली आकृतियाँ इन चित्रों में नजर आती हैं। भीमबेटका के शिल्प जागतिक स्थल नामके घोषित है। राॅक आर्ट (Rock Art) तथा पेट्रोग्लिफ्स (petroglyphs) इस नामसे यह चित्र जाने जाते हैं। ऐसे चित्र महाराष्ट्र राज्य के कोंकण प्रांत में ज्यादातर दिखाई देते हैं।

चित्रांकन और रेंखांकन मनुष्य जाति की सबसे प्राचीन कलाएं हैं। आदि मानव गुफाओं की दीवारों का प्रयोग कैनवास के रूप में किया करता था। उसने रेखांकन और चित्रांकन शायद अपने प्रतिवेश को चित्रित करने अथवा अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का दृश्य रिकार्ड करने के लिए भी किया हो। गुफाओं की चट्टानों पर अपने इतिहास को चित्रित करने का उसका प्रयास शायद वैसा ही था जैसेकि हम अपनी दैनिक डायरी लिखते हैं।

वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि पाषाणयुग (वह समय जबकि वह पत्थर के हथियारों का प्रयोग करता था) का मनुष्य गुफाओं में रहता था और शिलाओं के इन आश्रय स्थलों का प्रयोग वर्षा, बिजली, ठंड और चमचमाती गर्मी से अपनी रक्षा करने के लिए किया करता था। वे यह भी मानते हैं और उन्होंने यह प्रमाणित करने के साक्ष्य भी ढूंढ लिए हैं कि गुफाओं में रहने वाले ये लोग लंबे, बलवान थे और प्राकृतिक खतरों से निबटने और साथ ही विशालकाय जंगली गैंडे, डायनोसोर अथवा जंगली सूअरों के समूह के बीच अपने जीवन की दौड़ दौड़ते रहने के लिए उसके पास अनेक वहशियों की तुलना में कहीं अच्छे दिमाग होते थे। रेनडियर, जंगली घोड़े, सांड अथवा भैंसे का शिकार करते-करते कभी-कभी वह आसपास रहने वाले भालुओं, शेरों तथा अन्य जंगली पशुओं का ग्रास बन जाता था।

हां, इन आदि मानवों के पास कुछ उत्तम चित्र रेखांकित और चित्रांकित करने का समय रहता था। सारे वि में अनेक गुफाओं का दीवारें जिन पशुओं का कन्दरावासी शिकार किया करते थे, उनके बारीकी से उत्कीर्ण और रंगे हुए चित्रों से भरी हुई हैं। ये लोग मानवीय आकृतियों, अन्य मानवीय क्रियाकलापों, ज्यामिति के डिजाइनों और प्रतीकों के चित्र भी बनाते थे।

वैज्ञानिकों ने प्राचीन गुफा आश्रय स्थलों की खोज करके मनुष्य के प्राचीन इतिहास के सम्बन्ध में बहुत कुछ जान लिया है। ये वैज्ञानिक प्राचीन काल की दलदल और नमीदार दीवारों की रेत के कारण दफन हुए शवों की खुदाई करते हैं और गहरी खुदाई करने पर उन्हें हड्डियों और हथियारों की एक और परत मिलती है, जो और भी प्राचीन मनुष्यों का परिचय देती है। इन परतों में उन्हें उन पशुओं के अवशेष (अस्थियां) भी मिलते हैं जिनका अब इन पृथ्वी पर कोई नामों-निशान नहीं बच रहा है। इन अवशेषों और मनुष्यों ने गुफाओं की दीवारों पर जो चित्र बनाए थे उनके सहारे अध्यवसायी वैज्ञानिक उस युग के मनुष्य की कहानी को कण-कण करके जोड़ते हैं और प्रकाश में लाते हैं।

आदिम मानव ने शिला पर अपनी कला के कई निशान छोड़े हैं जो कि कच्चे कोयले से खींची गई आकृतियों अथवा हेमेटाइट नामक पत्थऱ से तैयार किए गए अथवा पौधों से निकाले गए रंग से बनाए गए चित्रों अथवा पत्थर पर उत्कीर्ण नक्काशी के रूप में मौजूद हैं। कच्चे कोयले अथवा रंगों से बनाए गए चित्र (चित्रलेख) पिक्टोग्राफ कहलाते हैं जबकि अपघर्षित चित्र (प्राचीन मनुष्य इन अर्थों में कुशाग्र बुद्धि था कि वह आकृतियों की बहि:रेखाएं खींचता था और दूसरे पत्थर से चित्रांकन किए हुए हिस्से से मिटा देता था, जिससे कि वह चित्रांकनों के लिए पृष्ठभूमि के रूप में प्रयुक्त पत्थर पर आकृतियां उभार सकें) (शीलोत्कीर्णन) पैट्रोग्लिफ कहलाते हैं।

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