Social Sciences, asked by mohitmalhotra874, 10 months ago

1. शहरों की वृद्धि और व्यापार के उद्भव ने सामंती प्रथा का किस प्रकार पतन किया Hindi medium ​

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Answered by Anonymous
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कुछ विद्वानों का मानना है कि व्यापार के फिर से उभरने और विकसित होने तथा फलस्वरूप नगरों का विकास सामंतवाद के पतन का मुख्य कारण था । अन्य विद्वानों का प्रौधोगिकी का स्तर, कृषि में उत्पादकता, जनसंख्या संबधी बदलाव और ग्रामीण परिदृश्य में परिवर्तन जैसे अन्य मुद्दे सामंतवाद के पतन के लिए जिम्मेदार थे।

Explanation:

सामंतवाद के पतन के कारण  

राजनीतिक कारण  

पंद्रहवीं सदी में यूरोप में स्वतंत्र और शक्तिशाली राजतंत्रों की स्थापना हुई। विभिन्न वर्गों के विशेशकर मध्यमवर्ग के सहयोग से राजा की सत्ता और शक्ति में वृद्धि हुई। राजा को अपनी सम्प्रभुता स्थापित करने के लिए राजा द्वारा प्रसारित सिक्कों के प्रचलन ने भी योगदान दिया। लोग निरंकुश राजतंत्र का समर्थन करने लगे। राजा प्रत्यक्ष रूप से अपने राज्य में विभिन्न प्रकार के कर भी लगाने लगा। राजा ने अपने अधीनस्थ नौकरशाही व्यवस्था सुदृ़ढ़ कर ली और प्रशासकीय क्षेत्रों को सामंतों के प्रभाव से मुक्त कर लिया। इससे सामंतों की शक्ति को गहरा आघात लगा।  

नवीन हथियारों तथा बारूद का आविष्कार - राजाओं ने अपनी स्वयं की सेनाएँ स्थापित की ओर उनको नवीन हथियारो, बंदूकों और बारूद से सुसज्जित किया। सांमतों की शक्ति के आधार उनके दुर्ग होते थे और उनके सैनिक धनुशवाण का उपयोग करते थे। किंतु अब राजा की सेना बंदूकों ओर तोंपों के गोलों की मार से दुर्ग की दीवारें सामंतों की सुरक्षा करने में असमर्थ थी।  

सामाजिक कारण  

सामतंवादी संस्थाओं और व्यवस्था के स्थान पर नवीन सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं और व्यवस्थाओं का प्रारंभ हुआ। मुद्रण का आविष्कार, विद्या एवं ज्ञान की वृद्धि और जीवन तथा ज्ञान विज्ञान के प्रति नवीन दृष्टिकोण का प्रारंभ हुआ, समाज में नये सिद्धांतो विचारों और आदर्शों का युग प्रारंभ हुआ। सामाजिक दृष्टि से यूरोपीय समाज के संगठन एवं स्वरूप में परिवर्तन हुआ, व्यापार वाणिज्य की उन्नति व धन की वृद्धि के कारण नगरों में प्रभावशाली मध्यम वर्ग का उदय और विकास हुआ। अब कृषि प्रधान समाज का स्वरूप बदल गया और इसका स्थान धन-सम्पन्न जागरूक शिक्षित मध्यम वर्ग ने ले लिया।

धार्मिक कारण  

यूरोप में आरंभिक मध्यकाल में अनेक धर्म युद्ध हुए। इन धर्म युद्धों में भाग लेने के लिए और ईसाई धर्म की सुरक्षा के लिए अनेक सामंतों ने अपनी भूमि या तो बेच दी या उसे गिरवी रख दिया। इससे उनकी सत्ता व शक्ति का अधिकार नष्ट हो गया। अनेक सामंत इन धर्म युद्धों में वीरगति को प्राप्त हुए और उनकी भूमि पर राजाओं ने अपना अधिकार स्थापित कर लिया।

आर्थिक कारण

वाणिज्य व्यापार में वृद्धि -  

नई भौगोलिक खोजों और समुद्री मार्गों की खोजों से यूरोप के वाणिज्य व्यापार में खूब वृद्धि हुई। यूरोप के निवासियों को नये-नये देशों का ज्ञान हुआ और वे अन्य देशों से परिचित हो गये और उनसे व्यापार बढ़ा। पूर्व के देशों की विलास की वस्तुओं की मांग बढ़ने लगी। इससे विदेशों से व्यापार बढ़ा और नवीन व्यापारी वर्ग का उदय हुआ। कुछ व्यापारियों ने इतना अधिक धन कमा लिया कि वे सामंतों से अधिक धन सम्पन्न और वैभवशाली हो गये। वे सामंतों से हेय समझे जाने के कारण, सामांतों से ईश्र्या करते थे और सामंतों के विरूद्ध राजा को सहयोग देते थे।

नवीन साधन -

सम्पन्न नगरों का विकास - वाणिज्य, व्यापार, कलाकौशल और उद्यागे -धंधों के विकास के परिणामस्वरूप यूरोप में अनेकानेक नवीन कस्बों और साधन-सम्पन्न शक्तिशाली नगरों का विकास हुआ। इससे व्यापारियों और मध्य वर्ग की शक्ति ओर प्रभाव में वृद्धि हुई।

Answered by baman8089
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