Hindi, asked by nagamani46, 10 months ago

1. तुलसीदास ने शरीर की खेत व मन की किसान से तुलना क्यों की होगी ?
pls answer this question​

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Answered by shailajavyas
2

Answer:

                                 जिस प्रकार किसान अपने खेत में तरह-तरह के बीज बो कर अलग-अलग प्रकार की फसल समय के अंतराल पर काटता रहता है उसी प्रकार हमारा मन रूपी किसान शरीर रूपी खेत द्वारा पाप -पुण्य रूपी बीज बोकर कर्म फल रूपी फसल प्राप्त करता है जिसे कि हम प्रारब्ध कहते हैं ।

            तुलसीदास जी ने मन को किसान इसलिए कहा है कि किसान एक फसल प्राप्त कर लेने पर दूसरी फसल हेतु खेत को तैयार करता है उसी प्रकार मनुष्य के मन में भी तरह-तरह के संकल्प विकल्प (कामनायें, इच्छाएं ) चलते रहते हैं जिसके आधार पर वह अपने शरीर द्वारा विविध प्रकार के कर्मों का आयोजन करता रहता है और फिर समय-समय पर उन्हीं कर्म फलों के आधार पर सुख और दुख के भावों में लिप्त रहता है अर्थात उन्हें भोगता रहता है।

Answered by shelotkarkartik4819
0

Answer:

hi

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tumara name ky hai

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