1. तुलसीदास ने शरीर की खेत व मन की किसान से तुलना क्यों की होगी?
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तुलसीदास जी कहते हैं कि हमारा यह शरीर एक खेत है और मन किसान है तथा पाप व पुण्य दोनों बीज हैं। इस प्रकार खेत में जिस प्रकार का बीज बो कर खेती होती है, वैसी फसल प्राप्त होती है। उसी प्रकार शरीर रूपी खेत में मन रूपी किसान पाप-पुण्य दोनों के बीज डालता है। इनमें से जो भी बीज किसान बोता है, उसी की फसल भी काटता है।
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