1) तुलसीदासजी प्रभु के चरणों को छोड़कर कहीं और क्यों नहीं जाना चाहते हैं?
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kyoki unki patni ne kha tha ki tum jitna pyar mujhse or is mohmaya se karte ho utna pyar prabhoo se kro to tumahara jivan sudhar jaye
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तुलसीदास जी के अनुसार प्रभु श्री राम पतित पावन है। वे दीन दुखी जनों के प्रेमी हैं। उन्होंने दुष्ट का भी उद्धार किया हे। पक्षी उद्यान पाषाण वृक्ष और जीवन का उद्धार करने में भी उन्होंने देर नहीं की। बाकी देवता मुनि मनुष्य आदि माया के वशीभूत हैं ।उनसे संबंध जोड़ने का अर्थ नहीं है श्री राम जैसी दया और सामर्थ्य और किसी में नहीं इसलिए तुलसीदास जी अपने प्रभु के चरणों को छोड़कर और कहीं नहीं जाना चाहते।
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