Hindi, asked by sangeetanenawatee28, 6 months ago

1. तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो,
पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!​

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Answered by shishir303
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तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो,

पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!​

✎... यह पंक्ति लेखक उन लोगों के लिए कहता है जो धर्म के नाम पर पाखंड और दिखावा करते हैं। ऐसे पाखंडी धर्माचार्य व्यक्तियों को लेखक कहता है कि तुम्हारे द्वारा मुझे मानने से यानि तुम्हारे द्वारा मात्र मेरी पूजा-अर्चना करने से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा। अगर तुम्हें सच्चे ईश्वरत्व को कायम रखना है तो अपने अंदर मनुष्यता लाओ। सब पर पर दया करो, दूसरों की सहायता करो, सहयोग करो, अपने मन में प्रेम और करुणा अपनाओ। अपने अंदर के पशुत्व को समाप्त करके सच्चे अर्थों में मानव बनना सीखो, वही सच्ची ईश्वर भक्ति है।  

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लेखक के अनुसार धर्म क्या और क्या नहीं है?

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