1. तरुणाई है नाम सिंधु की उठती लहरों के
गर्जन का,
चट्टानों से टक्कर लेना लक्ष्य बने जिनके जीवन
का।
विफल प्रयासों से भी दूना वेग भुजाओं में भर
जाता,
जोड़ा करता जिनकी गति से नव उत्साह निरंतर
नाता।
पर्वत के विशाल शिखरों-सा यौवन उसका ही है
अक्षय,
जिनके चरणों पर सागर के होते अनगिन ज्वार
साथ लय।
अचल खड़े रहते जो ऊँचा, शीश उठाए तूफ़ानों
में,
सहनशीलता दृढ़ता हँसती जिनके यौवन के
प्राणों में।
वही पंथ बाधा को तोड़े बहते हैं जैसे हों निर्झर,
प्रगति नाम को सार्थक करता यौवन दुर्गमता पर
चलकर।
प्र:1 कवि ने किसका आह्वान किया है।
11 Doint)
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have a nice day please mark me as brainlisttt
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prastut Kavya ka uchit shirshak likhiye
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