1. दिए गए श्लोकों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए
(अ) माता गुरूतरा भूमेः खात् पितोच्चतरस्तथा ।
मनः शीघ्रतरं वाताच्चिन्ता बहुतरी तृणात् ।।
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सन्दर्भ–
- प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी के संस्कृत-खण्ड के जीवन-सूत्राणि पाठ से उद्धृत है।
[विशेष—इस पाठ के समस्त श्लोकों के लिए भी यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]
→ प्रसंग-इन श्लोकों में यक्ष के प्रश्नों और युधिष्ठिर के उत्तरों के माध्यम से माता-पिता इत्यादि के महत्त्व को दर्शाया गया है।
अनुवाद-
(यक्ष युधिष्ठिर से पूछता है) भूमि से महान् क्या है ? आकाश से ऊँचा कौन है ? वायु से अधिक शीघ्रगामी क्या है ? तिनके से अधिक दुर्बल (क्षीण) बनाने वाली क्या है ?
(युधिष्ठिरं उत्तर देता है) पृथ्वी से अधिक भारी माता है। आकाश से अधिक ऊँचा पिता है। वायु से अधिक शीघ्रगामी मन है। तृण से अधिक दुर्बल बनाने वाली चिन्ता है।
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