1.
दिए गए वाक्यों में रेखांकित सर्वनाम शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है? लिखिए-
(क) चाची की आवाज़ आई, "यह गट्ठर उठाने में मेरी मदद कर!"
(ख) आख़िर अर्जुन है कौन, जिसका नाम हर किसी की जुबान पर है?
(ग) माँ रोने-चिल्लाने लगी, “कोई बचाओ मेरे बच्चे को ....।"
(घ) बुजुर्ग ने चिल्लाकर कहा, "शेर आग से डरता है। कोई इसे आग दिखाओ।"
ङ) “माँ! मैं एकदम ठीक हूँ।" अर्जुन बोला।
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कामताप्रसाद गुरू के मतानुसार- सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते हैं जो पूर्वापर संबंध से किसी भी संज्ञा के बदले में आता है, जैसे, मैं (बोलनेवाला), तू (सुननेवाला), यह (निकट-वर्ती वस्तु), वह (दूरवर्ती वस्तु) इत्यादि। वाक्य में जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा के बदले में होता है, उसे सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम शब्द का अर्थ है- सब का नाम। संज्ञा जहाँ केवल उसी नाम का बोध कराती है, जिसका वह नाम है, वहाँ सर्वनाम से केवल एक के ही नाम का नहीं, सबके नाम का बोध होता है। जैसे – राधा कहने से केवल इस नामवाली लड़की का बोध होगा किन्तु सीता, गीता, राम, श्याम सभी अपने लिए मैं का प्रयोग करते हैं तो मैं इन सबका नाम होगा। इसी तरह बोलनेवाले अनेक नामों के बदले तुम या आप और सुननेवाले अनेक नामों के बदले वह या वे का प्रयोग होता है। जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा के स्थान पर किया जाता है उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे - मैं, तुम, हम, आप, वे । हिंदी के मूल सर्वनाम 11 हैं, जैसे- मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, क्या, कोई, कुछ। प्रयोग की दृष्टि से सर्वनाम के छः प्रकार हैं-
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