1)दुःख का अधिकार का मूलभाव बताइए |
A)मनुष्य की पहचान उसकी पोशाक से होती है | यह पोशाक ही मनुष्य को समाज में दर्ज़ा दिलाती है | उसका दर्ज़ा निश्चित करती है | जीवन के बंद दरवाज़े खोल देती है | यदि हम समाज की निचली श्रेणी की अनुभूति को समझना चाहते है तो ऐसी परिस्थिति में हमारी पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है|
B)जब भी ऐसी परिस्थिति आती है कि किसी दुखी व्यक्ति को देखकर व्यथा का भाव उत्पन्न होता है | हमें उसके दुःख का कारण जानने के लिए उसके समीप बैठने में हमारी पोशाक बंधन और अड़चन बन जाती है | उत्तम पोशाक हमें नीचे झुकने नहीं देती | पोशाक मानव - मानव के बीच दूरियाँ बढ़ाने का काम करती है |
C)दुःख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है अतः हमें किसी व्यक्ति के स्तर के अनुसार नहीं बल्कि मानवीयता को ध्यान में रखकर समानता का व्यवहार करना चाहिए|
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दुःख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है अतः हमें किसी व्यक्ति के स्तर के अनुसार नहीं बल्कि मानवीयता को ध्यान में रखकर समानता का व्यवहार करना चचाह
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