(1) द्वारपाल ने सुदामा की दशा का कैसा वर्णन किया; श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई?
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द्वारपाल ने सुदामा की दशा का वर्णन करते हुए कहा कि इस केतन पढ़ना कपड़े हैं ना जाना है ना पैरों पर जूते हैं इसके कपड़े बहुत ही फटे हुए हैं हैं उसके पैरों पर छाले पड़े हुए हैं और अपना आपको अपना मित्र बता रहा है वह कह रहा है कि मुझे द्वारिकाधीश से मिलना है और अपना नाम सुदामा बता रहा है
¿ द्वारपाल ने सुदामा की दशा का कैसा वर्णन किया; श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? लिखिए।
✎... द्वारपाल ने श्री कृष्ण को जाकर बताया कि बाहर द्वार पर फटे हुए वस्त्र पहने, निर्धन एवं दुबले-पतले विप्रजन यानि ब्राह्मण खड़े हैं। वह आपका नाम लेकर आपके धाम का पता पूछ रहे हैं और अपना नाम सुदामा बता रहे हैं।
सुदामा की दीन दशा को देखकर कृष्ण को अत्याधिक दुख हुआ। उन्हें इस बात का बेहद दुख थाकि उन्हें आज तक सुदामा की दीन-दशा का भान नहीं था। सुदामा की दीनदशा देखकर श्री कृष्ण की आँखों से करुणा के आंसू बहने लगे। उन्होंने तुरंत अपने मित्र सुदामा को गले लगाया और उनके पैरों को धोने के लिए पानी मंगवाया, परंतु सुदामा से मिलन में भाव विह्वल होकर उनके आँखों से इतने आंसू झरझर बहने लगे कि सुदामा के पैर उनके आंसुओं से ही धुल गए।
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