Hindi, asked by samreenbrar24, 6 months ago

1- उत्साह’ कविता के आधार पर बादल आने से पूर्व प्राणियों की मनोदशा का चित्रण कीजिए।​

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Answered by rm2757339
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Answer:

  • दुखों व संघर्षों से भरा जीवन जीने वाले विस्तृत सरोकारों के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जीवन काल सन 1899-1961 तक रहा। उनकी रचनओं में क्रांति, विद्रोह और प्रेम की उपस्थिति देखने को मिलती है। उनका जन्मस्थान कवियों की जन्मभूमि यानि बंगाल में हुआ। साहित्य के क्षेत्र में उनका नाम अनामिका, परिमल, गीतिका आदि कविताओं और निराला रचनावली के नाम से प्रकाशित उनके संपूर्ण साहित्य से हुआ, जिसके आठ खंड हैं। स्वामी परमहंस एवं विवेकानंद जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेने वाले और उनके बताए पथ पर चलने वाले निराला जी ने भी स्वंत्रता-संघर्ष में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • उत्साह कविता निराला जी के सबसे पसंदीदा विषय बादल पर रचित है। यह कविता बादल के रूप में आये दो अलग तरह के बदलावों को दर्शाती है। इस कविता के माध्यम से निराला जी ने जीवन को एक अलग दिशा देने एवं अपना विश्वास खो चुके लोगों को प्रेरणा देने का प्रयास किया है। कवि बादलों के आने के ज़िक्र के जरिये, जीवन से निराश व हताश लोगों को यह उम्मीद देना चाहते हैं कि चाहे जो कुछ हो, लेकिन आपके जीवन में भी खुशहाली ज़रूर लौटेगी और आपके अच्छे दिन ज़रूर आयेंगे।
  • कविता में उन्होंने दूसरा अहम संदेश ये दिया है कि जिस तरह बादल बेजान पौधों में नई जान डाल देते हैं, वैसे ही मनुष्य को सारे दुखों को भूलकर अपने जीवन की नयी शुरुआत करनी चाहिए और ज़िंदगी में हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। मुख्य रूप से निराला जी ने यह कविता हमारे भीतर सोयी क्रांति को फिर से जगाने के लिए लिखी है।
  • अट नहीं रही है कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन बड़े ही सुन्दर ढंग से किया है। होली के समय जो महीना होता है, उसे फागुन कहा जाता है। उन्होंने इस कविता में, इस महीने में प्रकृति एवं मानवीय मन में होने वाले बदलाव को बड़े ही सुंदरता से दिखलाया है। फागुन के समय पूरी प्रकृति खिल-सी जाती है। हवाएं मस्ती में बहने लगती हैं, फूल खिल उठते हैं और आसमान में उड़ते पक्षी सबका मन मोह लेते हैं। इस तरह प्रकृति को मस्ती में देखकर मनुष्य भी मस्ती में आ जाता है और फागुन के गीत, होरी, फाग इत्यादि गाने लगता है।

Answered by b22554113
7

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जब तक आसमान में बादलों का आगमन नहीं हुआ था, गरमी अपने चरम सीमा पर थी। इससे लोग बेचैन, परेशान और उदास थे। उन्हें कहीं भी चैन नहीं था। गरमी ने उनका जीना दूभर कर दिया था।

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