Hindi, asked by Neelammehra, 1 year ago

(1)
ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तै, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूंद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोस्यौ, दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास' अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।

भावार्थ​

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Answered by RiddhiThacker
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Explanation:

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