Hindi, asked by Kapilkapil0512, 10 months ago

(1)
ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगाते, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी!
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोस्यौ, दृष्टि न रूप परागी।
'सूरदास' अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यों पागी।।​

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Answered by deshdeepak88
7

I think you want explaination.

So,here it is.

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