Hindi, asked by kumarraunak465, 2 months ago

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ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूंद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोस्यौ, दृष्टि न रूप परागी।
सूरदास' अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।। isme kyon se bhasha ka prayog hua h

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Answered by twuhdk
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Explanation:

अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।

पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।

ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूंद न ताकौं लागी।

प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोस्यौ, दृष्टि न रूप परागी।

सूरदास' अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।। isme kyon se bhasha ka prayog hua h

Answered by piyushkumar10A1
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Answer:

isme brajbhasa ka pryog hua hai

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