1.विकास के लक्ष्य किस प्रकार के होते है? क्या इसमे विरोधाभाष हो सकता है?
उदाहरण सहित उल्लेख करे।
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भारत के विद्यालयों को छात्रों के सीखने के उत्कृष्टता केंद्रों में बदलने के स्वप्न को सच करने के लिए आवश्यक है कि विद्यालय प्रमुख अपने संपूर्ण कार्य जीवन में अपने कौशलों और ज्ञान का नवीकरण और अद्यतन करने का निजी दायित्व लें, क्योंकि वे ही इस आंदोलन के केंद्र-बिंदु हैं। व्यक्तिगत विकास आपके कौशलों और ज्ञान को विकसित करने, आकार देने और सुधार करने की जीवन-पर्यंत प्रक्रिया है ताकि विद्यालय की कार्य क्षेत्र में अधिकतम प्रभावकारिता और सकारात्मक आत्म-अवधारणा का विकास सुनिश्चित किया जा सके। व्यक्तिगत विकास का मतलब आवश्यक रूप से ऊर्ध्वगामी गति (यानी, पदोन्नति) ही नहीं होता। बल्कि, इसका मतलब अपने विद्यालय का नेतृत्व करने में अपने कार्य-प्रदर्शन का सुधार करने में आपको सक्षम करना है।.
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मैं आशा करता हूं कि इससे तुम्हें सहायता मिलेगी......
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