1. विकलांग लोगों को कमज़ोर न समझें इस पर (100-120) शब्दों में अनुच्छेद लिखिए |
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भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा सुनिश्चित करता है और स्पष्ट रूप से यह विकलांग व्यक्तियों समेत एक संयुक्त समाज बनाने पर जोर डालता है। हाल के वर्षों में विकलांगों के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है। यह माना जाता है कि यदि विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो वे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
२. जनगणना 2001 के मुताबिक, देश में 2.19 करोड़ व्यक्ति विकलांगता के शिकार हैं, जो कुल जनसंख्या का 2.13% हिस्सा है। 75% विकलांग व्यक्ति ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, तथा 49% विकलांग व्यक्ति साक्षर हैं व 34% रोजगार प्राप्त हैं। पूर्व के मेडिकल पुनर्वास पर जोर डालने की बजाए अब सामाजिक पुनर्वास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। विकलांगों की बढ़ती योग्यता की पहचान की जा रही है, और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किए जाने पर बल दिया जा रहा है। भारत सरकार ने विकलांगों के लिए तीन कानूनों को लागू किया है, जो इस प्रकार हैं:
i. विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995, जो ऐसे लोगों को शिक्षा, रोजगार, अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण, सामाजिक सुरक्षा इत्यादि प्रदान करता है।
ii. ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि व बहुविकलांगता के लिए राष्ट्रीय कल्याण ट्रस्ट अधिनियम 1999 में चारों वर्गों के कानूनी सुरक्षा तथा उनके स्वतंत्र जीवन हेतु सहसंभव वातावरण के निर्माण का प्रावधान है।
iii. भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम 1992, पुनर्वास सेवाओं के लिए मानव-बल विकास का प्रयास करता है।