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वीरों का पीतांबर कैसा होता है?
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ढ़वा वीरों की भूमि रही है। देश भक्ति की बात हो या मुगलों से मुकाबले की यहां के देश भक्त वीर कभी भी अपनी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटे। शहरी क्षेत्र की कौन पूछे जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र से भी लोग आजादी की लड़ाई लड़ने में पीछे नहीं रहे। जिले का आज भी मेसो क्षेत्र कहे जाने वाले भंडरिया प्रखंड के चेमो-सनया गांव में आजादी की लड़ाई के लिए दो भाई मैदान में कूद पड़े। इनकी अंग्रेजों से लड़ाई ऐसी हुई की पूरा झारखंड ही नहीं देश में इनकी वीरगाथा गूंजने लगी। अंग्रेज नीलांबर-पीतांबर के नाम से ही कांपते थे। पूरे शरीर पर एक कपड़ा धारण करने वाले दोनों भाइयों ने जिले में आजादी की लड़ाई की शुरुआत की। इनके नेतृत्व में इस क्षेत्र के हजारों आदिवासियों ने अंग्रेजों से लोहा लेने की ठानी।
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