1)वार्षिक परीक्षा की तैयारियों को लेकर दादा जी को पत्र लिखिए।
2)अपनी भूल के लिए क्षमा याचना करते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखिए।
3)शैक्षिक भ्रमण पर जाने के लिए पैसे माँगते हुए पिताजी को पत्र लिखिए।
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Answer:
पूजनीय पिताजी
सादर चरण स्पर्श
मैं यहाँ स्वस्थ ओर सानंद हूँ। आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप भी स्वस्थ और सानंद होंगे। आप मेरी परीक्षाओं कि तैयारी के बारे में जानना चाहतें थे। मैं आपको बताना चाहूँगा कि इस बार मेरी तैयारी एकदम संतोषजनक है और इस बार मेरा परीक्षा परिणाम पहले से बेहतर होगा। यह सब आपके कुशल मार्गदर्शन से ही संभव हो सका है।
मैंने सत्र के शुरू में ही सभी विषयों की गहनता से अध्ययन आरंभ कर दिया था। धीरे धीरे करके मैंने सरल भाषा में उसके नोट्स बनाए और अपनी सुविधा के अनुसार उसे याद करता गया। उस समय की मेहनत का फल आज मिल रहा है। जहां सभी बच्चे इन दिनों किताबों से चिपके पड़ें हैं वहीं मैं अपनी सामान्य पढ़ाई से ही संतुष्ट हूँ। कुल मिलाकर मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ की आप मेरी परीक्षा की तैयारी के संबंध में चिंतित ना हों। मेरी तैयारी अच्छी और पूर्ण है और इसका परिणाम भी अच्छा होगा।
माता जी को मेरा चरण सपक्ष कहिएगा ओर बड़े भैया को सादर प्रणाम।
आपका पुत्र
रमेश
Answer:
1) पूजनीय दादा जी
सादर चरण स्पर्श
मैं यहाँ कुशल पूर्वक से हूँ और आपकी कुशलता की कामना करता हूँ। जैसा कि आप जानते हैं मुझे शुरू से ही पढ़ाई के प्रति अत्यधिक रुचि रही है। मेरी आगामी परीक्षा अगले महीने होने वाली है। वैसे तो मेरी तैयारी बहुत बढ़िया है लेकिन महामारी के कारण कुछ कक्षाएं प्रभावित हुईं हैं जिसके कारण उन विषयों को लेकर मैं थोड़ा घबराया हुआ हूँ। उसी संबंध में मैं आपसे बात करना चाहता हूँ।
दादा जी ,मेरे विद्यालय के कुछ शिक्षकों ने हमे घर बुलाकर उन विषयों को पुनः पढ़ाना शुरू किया है। इससे लग रहा है कि जल्द ही वह विषय भी मैं तैयार कर लूँगा। शिक्षकों कि मेहनत रंग लाएगी और हर बार की तरह इस बार भी मैं अपनी कक्षा में प्रथम आऊँगा।
अन्य सब कुशल है और दादी जी का चरण स्पर्श।
आपका पुत्र
मोहन
2) १३५ विकासनगर
नयी दिल्ली - ७५
दिनांक: ३०/०९/२०१७
आदरणीय पिता जी,
सदर चरण स्पर्श
पिता जी, मुझे पता है कि माता जी के द्वारा आपको मेरे दुर्व्यवहार के बिषय में पता चला है. मैं ह्रदय से आपसे भूल स्वीकार करता हूँ. मुझे क्षमा कर दीजिये मैं अपने किये पर बहुत शर्मिंदा हूँ. मैं गलत दोस्तों की संगत में पड़कर घर के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भुला बैठा, यह सु कर आपको निश्चय ही दुःख हुआ होगा, क्योंकि आपको मुझसे काफी आशाएँ हैं.
निष्ठा व ईमानदारी से निभाऊंगा और एक आदर्श बन कर दिखाऊंगा.
आपका आज्ञाकारी
पुत्र रविश कुमार
3)C-123,
निरुपम कॉलोनी,
कैलाश नगर,सूरत।
दिनांक…..
आदरणीय पिता जी,
सादर प्रणाम।
आशा करता हूं कि आप सकुशल होंगे। आपको बताते हुए मुझे यह अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि इस वर्ष मैंने अर्द्ध वार्षिक परीक्षाओं में पूरी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मेरे विद्यालय के समस्त अध्यापक मेरी इस सफलता से प्रसन्न है। साथ ही वार्षिक परीक्षाओं में भी इसी प्रकार प्रदर्शन करने का प्रोत्साहन दिया है।
पिता जी, इसके अतिरिक्त मुझे आपसे एक विषय में आज्ञा भी प्राप्त करनी है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि मेरे विद्यालय की ओर से अगले सप्ताह कुछ चयनित विद्यार्थियों को शैक्षिक भ्रमण पर ले जाया जा रहा है। विद्यार्थियों के मन में इतिहास के विषय के प्रति रोचकता लाने के लिए विद्यालय द्वारा लखनऊ शहर के कुछ ऐतिहासिक स्थलों पर जाना निश्चित किया है। जहां बड़ा इमामबाड़ा तथा छोटा इमामबाड़ा अत्यंत प्राचीन तथा प्रसिद्ध है।
इसके अलावा भी कुछ अन्य स्थान है जहां विद्यालय के शिक्षक हम विद्यार्थियों को पूर्ण जानकारी देंगे। ये यात्रा विद्यालय द्वारा पूर्णतः शैक्षिक भ्रमण हेतु आयोजित की गई है।इस शैक्षिक भ्रमण का हिस्सा बनने के लिए विद्यालय की ओर से प्रत्येक विद्यार्थी से उनके पिता जी द्वारा अनुमति पत्र मांगा है। पिता की ओर से अनुमति पत्र प्राप्त करने के पश्चात ही कोई भी विद्यार्थी शैक्षिक भ्रमण पर जा सकता है।
अतः पिता जी मेरी आपसे विनती है कि आप मुझे इस शैक्षिक भ्रमण का हिस्सा बनने की अनुमति प्रदान करें। यह शैक्षिक भ्रमण मेरी ऐतिहासिक तथ्यों की समझ में अवश्य ही सहायक सिद्ध होगा। इसके लिए मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा।मुझे आशा कि आप मेरे इस आग्रह को अवश्य स्वीकार करेंगे एवं मुझे निराश नहीं करेंगे।
चरण स्पर्श।
आपका प्रिय पुत्र,
अतुल,
मीना बाजार के निकट,लखनऊ।