(1) विरजानन्द जी का बचपन का नाम क्या था? वे नेत्रहीन कैसे हो
(2) उन्होंने गहत्याग किस आयु में और क्यों किया?
(3) बृजलाल ने ऋषिकेश क्यों छोड़ा? उन्हें संन्यास की दीक्षा किसने
गये थे?
दी?
(4) विरजानन्द जी ने अलवर के राजा को पढ़ाना क्यों बन्द कर दिया।
(5) ऋषिग्रन्थ पढ़ाते समय विरजानन्द जी उच्चासन पर क्यों नहीं बैठने
थे?
(6) स्वामी दयानन्द ने विरजानन्द जी से कितने वर्ष विद्या ग्रहण की?
गुरु दक्षिणा के रूप में उन्होंने दयानन्द से क्या प्रतिज्ञा कराई?
Answers
Answer:
आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक, तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर'[1] ईश्वर भक्त (आज्ञा पालक) थे, उन्होंने वेदों के प्रचार और आर्यावर्त को स्वंत्रता दिलाने के लिए मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की। वे एक संन्यासी तथा एक चिंतक थे। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। 'वेदों की ओर लौटो' यह उनका प्रमुख नारा था। स्वामी दयानंद ने वेदों का भाष्य किया इसलिए उन्हें 'ऋषि' कहा जाता है क्योंकि 'ऋषयो मन्त्र दृष्टारः' (वेदमन्त्रों के अर्थ का दृष्टा ऋषि होता है)। उन्होने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाया। उन्होने ही सबसे पहले १८७६ में 'स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया।
Explanation:
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Answer 1.
आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक, तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर'[1] ईश्वर भक्त (आज्ञा पालक) थे, उन्होंने वेदों के प्रचार और आर्यावर्त को स्वंत्रता दिलाने के लिए मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की।
Answer 2.
कहा जाता है कि सिद्धार्थ गौतम वृद्ध, रोगी और मृतक को देसखकर विचलित हो गए और एक दिन अपनी पत्नी और बेटे को रात्रि में सोता हुआ छोड़कर ज्ञान प्राप्ति हेतु निकल गए थे. ... जिस समय सिद्धार्थ गौतम ने प्रव्रज्या ग्रहण की, अर्थात् गृह त्याग किया उस समय उनकी आयु 29 वर्ष की थी.
Answer 3.
संन्यास की दीक्षा लिए बाबा रामदेव को हुये 22 साल
महेश पांडे | नवभारत टाइम्स | Updated: 05 Apr 2017, 09:07:00 PM
1995 में रामनवमी के दिन हरिद्वार में संन्यास की दीक्षा लेने वाले बाबा रामदेव को बुधवार को संन्यास धारण किये 22साल हो गए। एक संन्यासी की आयु उसके संन्यास की तिथि से ही गिनी जाती है इसलिए बाबा रामदेव भी अपनी आयु संन्यास के दिन से ही गिनते हैं...
Answer 4.
स्वामी विरजानन्द(1778-1868), एक संस्कृत विद्वान, वैदिक गुरु और आर्य समाज संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती के गुरु थे। इनको मथुरा के अंधे गुरु के नाम से भी जाना जाता था।
Answer 5.
ऋषि दयानन्द ने वेदों का पुनरुद्धार किया और वेदों के प्रचार के लिये दिनांक 10 अप्रैल, 1875 को मुम्बई में आर्यसमाज नामक संगठन स्थापित किया। वह इतिहास में प्रमुख समाज सुधारक हुए हैं। उनके समाज सुधार का आधार वेद थे। कोई ऐसा अन्धविश्वास, पाखण्ड तथा सामाजिक कुरीति या परम्परा नहीं थी जिसका उन्होंने सुधार न किया हो। उन्होंने ईश्वर के सच्चे स्वरूप का प्रकाश किया। ईश्वर की उपासना की सरल, सुबोध एवं ईश्वर का साक्षात् कराने वाली विधि सन्ध्या पद्धति भी उन्होंने दी। देश की आजादी का मूल मन्त्र ‘स्वदेशीय राज्य सर्वोपरि उत्तम होता है एवं सभी गुणों से युक्त विदेशी राज्य पूर्ण सुखदायक नहीं होता’ भी उन्होंने दिया। ऋषि दयानंद सभी विख्यात महापुरुषों में सर्वतोमहान एवं अद्वितीय थे। उनके विषयक में कुछ प्रसिद्ध महापुरुषों की सम्मतियां प्रस्तुत कर रहे हैं।