1. 'वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है' का अभिप्राय स्पष्ट करें।
2. आर्य समाज के चौथे नियम की व्याख्या करें।
3. 'धर्मानुसार अर्थात् सत्य-असत्य को विचार कर' का भाव स्पष्ट
करें।
4. उन्नति कितने प्रकार की होती है?
Answers
प्रश्न -1 ‘वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है ’ का अभिप्राय स्पष्ट करें | उत्तर-1 ‘वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है ’ का अभिप्राय है कि- इस संसार में जो भी सच्चे ज्ञान हैं या जितनी भी सत्य विद्याएँ हैं इन सबका निर्णय करने वाला, या इनका उत्पत्ति स्थान वेद है | वेद के द्वारा ही सत्य और असत्य की परख हो सकती है |क्योंकि वेद अपौरुषेय हैं किसी व्यक्ति या जाति विशेष नें नहीं बनाएँ हैं ये तो सृष्टि के आदि में परमेश्वर के द्वारा दिया गया मनुष्यों के लिए स्वाभाविक और आवश्यक ज्ञान है अतः अपने-अपने कर्तव्यों को जानने /समझने के लिए वेदों को पढ़ना और सुनना चाहिए |यह प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है |
प्रश्न-2 आर्य समाज के चोथे नियम की व्याख्या करें |
उत्तर-2 आर्य समाज के चौथे नियम में यह बताया गया है कि-सत्य क्या है ? अर्थात् जो वस्तु जैसी हो,उसे वैसा ही मानना करना और कहना चाहिए |मनुष्य अल्पज्ञ है उसे सत्य और असत्य का ज्ञान नहीं हो पाता वह अपने ज्ञान,अध्ययन,प्रयोग और अनुभव के आधार पर सत्य असत्य का निर्णय करता है जबकि-समझदार व्यक्ति का कर्तव्य है कि-वह असत्य तथा अन्याय से सिद्ध होने वाले मनगढ़न्त बातों को छोड़कर सत्य को ग्रहण करे | अपना आचरण सत्य और न्याय के अनुकूल बनाए |
प्रश्न-3 ‘धर्मानुसार अर्थात् सत्यासत्य का विचार कर’का भाव स्पष्ट करें |
उत्तर-3आर्य समाज के इस नियम का सम्बन्ध हमारे प्रतिदिन के जीवन से है | उठते-बैठते –सोते-जागते चलते-फिरते आते-जाते, हम और हमारा मन कुछ न कुछ सोचता और करता रहता है इस दौरान कई बार भूल से या अनजाने में हम अधर्म या पाप के भागी बन जाते है - ऐसे में आर्य समाज का यह नियम शिक्षा देता है कि- हम जो भी काम करें वह सोच विचार करके करें | हमारा आचरण = व्यवहार धर्म के अनुसार हो,पाप न हो, किसी के भी साथ अन्याय या अत्याचार न हो |
प्रश्न-4 उन्नति कितने प्रकार की होती है ?
नोट:- छात्र पहले पुस्तक से देखकर आर्य समाज का छठा नियम लिखें |
उत्तर-4 उन्नति तीन प्रकार की होती है |
1.शारीरिक उन्नति = आर्यसमाज सबकी भलाई चाहने वालों का समाज है | अतः शारीरिक उन्नति से तात्पर्य यहाँ सब स्वस्थ रहें सब दीर्घायु हों|
2.सामाजिक उन्नति=आर्य समाज का उद्देश्य केवल हिन्दुओं या आर्यों अथवा अन्य जाति विशेष की उन्नति करना नहीं अपितु सभी सम्प्रदायों की,और सभी मतों के लोंगों की उन्नति चाहने और करनें से है | सामाजिक उन्नति के लिए सामाजिक कर्तव्यों का पालनभी करना चाहिए |
3.आत्मिक उन्नति = आत्मिक उन्नति के लिए चरित्र की पवित्रता आवश्यक है | ब्रह्मचर्य पालन, संध्याप्रार्थना, स्वाध्याय, ध्यान कर्तव्यपरायणता,आदि जैसे गुण भी आवश्यक है |
Answer:
आचार्य विजय देव ने कहा कि वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है, वेद का पढ़ना और सुनना सभी श्रेष्ठ मनुष्यों का परम धर्म है। ... वेदों में संपूर्ण जीवन दर्शन तथा समग्र ज्ञान-विज्ञान समाहित है। हम सभी को चाहिए कि हम वेद का पठन-पाठन करें और उसके अनुसार अपने जीवन को उन्नतशील बनाएं|