1. वह चिड़िया जो
( वह चिड़िया जो-
चोंच मारकर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
वह चिड़िया जो-
कंठ खोलकर
बूढ़े वन-बाबा की खातिर
रस उँडेलकर गा लेती है
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है। Q-1 = यह कविता चिड़िया के माध्यम से क्या सीख देती है?
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व्याख्या - प्रस्तुत कविता में कवि ने नीले पंखों वाली चिड़ियाँ के बारे में बताया है। चिड़िया जुंडी के दाने जिसमें दूध भरे हुए है ,उसे बहुत ही रूचि से खाती है। उसे जो कुछ मिलता है ,उसी में संतोष कर लेती है। नीले पंखों वाली चिड़ियाँ कहती है कि उसे अन्न से बहुत प्यार है।
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