1. 'वह पुलकनि, वह उठि मिलनि, वह आदर की बात' वाक्य किसके
लिए प्रयुक्त किया गया
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'वह पुलकनि, वह उठि मिलनि, वह आदर की बात' वाक्य सुदामा के लिये प्रयुक्त किया गया है।
यह पंक्ति नरोत्तम दास द्वारा रचित सुदामा चरित काव्य से ली गई हैं। यह उस समय का वर्णन है, जब सुदामा श्री कृष्ण से मिलने जाते हैं। वह भगवान श्रीकृष्ण से इस आशा में मिलने गए थे कि श्रीकृष्ण उनकी निर्धनता को दूर करेंगे। श्री कृष्ण ने उनकी खूब आवभगत की और फिर उन्हें विदा कर दिया।
वह पुलकनि, वह उठि मिलनि, वह आदर की बात।
वह पठवनि गोपाल की, कछु न जानी जात।
कहा भयो, जो अब भयो, हरि को राज समाज।
हौं आवत नही हुतौ, वाहि पठ्यो ठेलि।
घर घर कर ओड़त फिरे, तनक दही के काज।
अब कहिहौं, समझाय के, बहु धन धरौ सकेलि।
सुदामा अपने घर की ओर लौट चलते हैं। जिस आशा से श्री कृष्ण से मिलने गए थे। उनकी वो आशा पूरी नहीं हुई और वह श्री कृष्ण के पास से खाली हाथ लौट रहे थे। इस कारण सुदामा का मन थोड़ा खिन्न था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कृष्ण ने उनके मन की बात को क्यों नहीं समझा। एक तरफ तो उन्हें इतना सम्मान दिया और दूसरी तरफ उन्हे खाली हाथ लौटा दिया। वो सोचने लगे कि वो तो जाना ही नहीं चाहते थे, लेकिन उनकी पत्नी ने जबरदस्ती श्री कृष्ण से मिलने भेज दिया। सुदामा सोचने लगे जो श्री कृष्ण बचपन में थोड़े से मक्खन के लिये घर-घर भटकता था, उससे कोई भी आशा करना बेकार था। मैं बेकार ही उसके पास गया।
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Answer:
सही उत्तर
Explanation:
उपरोक्त पंक्तियां में श्री कृष्ण और सुदामा के मिलने के समय के बारे में बताया गया है कि जब सुदामा
को कुछ आर्थिक दिक्कतें हो रही थी तब वे श्री कृष्ण से मिलने उनके महल में गए।श्री कृष्ण द्वारका के राजा थे।सुदामा जी ने सोच उन्हें अपने हालात बताऊं लेकिन वो श्री कृष्ण से कभी कुछ ना के सके।
मगर श्री कृष्ण अन्तर्यामी थे वो सुदामा जी कि हालात देख कर ही सब समझ गए।श्री कृष्ण ने सुदामा ने सुदामा जी का खूब स्वागत किया।सुदामाजी कुछ दिन कृष्णाजी के महल में भी रहे।
जब वो वापस जाने लगे तब उन्होंने सोच कि में इतना समय यहां रहा लेकिन ना में कृष्ण से कुछ बोल सका ना उसने पूछा और वापसी में भी उसने मुझे खाली हाथ ही लौटा दिया।
लेकिन जब वो अपने घर पहुंचे तो देखा कि उनकी कुटिया की जगह एक बड़ा सा महल था।