1 ) वह सब प्रकार से लोकोत्तर है। उसका उपचार प्रेम और मैत्री है। उसका शास्त्र सहानुभूति और हित-चिन्ता है। वह कुसंस्कारों के अन्धकार को अपनी स्निग्ध ज्योति से प्रदता है मुमूर्ष प्राणाधारा को अमृत का भाण्ड उड़ेलकर प्रवाहशील बनाता है। वह भेदों में अभेद देखता है नानात्व में एक का संधान बनाता है, वह सब प्रकार से निराला है। इस कार्तिक पूर्णिमा को अनायास उसके चरणों में नत हो जाने की इच्छा होती है। (i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए। (ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। (ii) कौन सभी प्रकार से निराला है? गद्यांश में लेखक किस कार्तिक पूर्णिमा पर किसके चरणों में नत हो जाने की बात कह रहा है?
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) वह सब प्रकार से लोकोत्तर है। उसका उपचार प्रेम और मैत्री है। उसका शास्त्र सहानुभूति और हित-चिन्ता है। वह कुसंस्कारों के अन्धकार को अपनी स्निग्ध ज्योति से प्रदता है मुमूर्ष प्राणाधारा को अमृत का भाण्ड उड़ेलकर प्रवाहशील बनाता है। वह भेदों में अभेद देखता है नानात्व में एक का संधान बनाता है, वह सब प्रकार से निराला है। इस कार्तिक पूर्णिमा को अनायास उसके चरणों में नत हो जाने की इच्छा होती है। (i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए। (ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। (ii) कौन सभी प्रकार से निराला है? गद्यांश में लेखक किस कार्तिक पूर्णिमा पर किसके चरणों में नत हो जाने की बात कह रहा है??????
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