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वर्ष 1991 से पूर्व भारत के विदेशी व्यापार की क्या नीति थी?
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आजादी के पूर्व भारत के विदेशी व्यापार की दिशा तुलनात्मक लागत लाभ स्थितियों के द्वारा निर्धारित न होकर ब्रिटेन और भारत के बीच औपनिवेशिक संबंधों द्वारा निर्धारित थी। दूसरे शब्दों में, भारत किन देशों से आयात करेगा और कहां पर अपना माल बेचेगा, यह ब्रिटिश शासक अपने देश के हित में तय करते थे।
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वर्ष 1991 से पूर्व भारत के विदेशी व्यापार की दिशा तुलनात्मक लागत लाभ स्थितियों के द्वारा निर्धारित न होकर भारत तथा ब्रिटेन के बीच औपनिवेशक संबंधों पर आधारित थी।
- इसका अर्थ यह हुआ कि भारत को देशों से आयात करेगा व किन किन देशों को अपना सामान बेचेगा यह ब्रिटिश शासक तय करते थे तथा वे सभी निर्णय अपने देश के हित में लेते थे।
- वर्ष 1991 तक आयत पर नियंत्रण रखा गया था। केवल आवश्यक वस्तुओं जैसे मशीनरी , पेट्रोलियम व उर्वरक जैसी चीजों का ही आयत किया गया।
- देश के उत्पादकों को विदेशी प्रतियोगिता से बचाए रखने के लिए संरक्षण की नीति को अपनाया गया। इसलिए इस अवधि में व्यापार में वृद्धि धीमी गति से हुई।
#SPJ3
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