1. वर्तमान में राजनीतिक दलों के समक्ष चुनौतियों की व्याख्या कीजिए?
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राजनीतिक दलों के सामने निम्नलिखित चुनौतियां हैं :
(क) आंतरिक लोकतंत्र की कमी :
यह ठीक है कि लोकतंत्र राजनीतिक दलों की सहायता से चलता है परंतु राजनीतिक दलों में ही आंतरिक लोकतंत्र की कमी है । साधारणतया दलों में सत्ता एक अथवा दो नेताओं के हाथ में ही होती है । यहां तक कि यह अपने दल में हमेशा चुनाव भी नहीं करवाते हैं तथा यह सदस्यता रजिस्टर भी नहीं रखते हैं। साधारण सदस्यों को तो दल के आंतरिक मामलों की कोई सूचना भी नहीं होती है तथा सदस्य आमतौर पर केंद्रीय नेता गणों से असंतुष्ट ही रहते हैं।
(ख) वंशवाद :
आज का राजनीतिक दल जो सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं वह है वंशवाद की चुनौती। इन दलों की कार्यप्रणाली में कोई पारदर्शिका नहीं होती है इसलिए दलों के नेता अपने परिवार के सदस्यों विशेषतया पत्नी तथा पुत्रों को अधिक लाभ देने के प्रयास करते हैं। राजनीतिक दल तो एक ही परिवार द्वारा नियंत्रित किए जाते हम उदाहरण ले सकते हैं । हम उदाहरण ले सकते हैं एसएडी , आरजेडी , आईएनएलडी , नेशनल कॉन्फ्रेंस , डीएमके इत्यादि की।
(ग) धन तथा अपराधिक तत्वों की घुसपैठ :
आजकल राजनीतिक दल एक और चुनौती का सामना कर रहे हैं तथा वह है धन तथा अपराधिक तत्वों के बढ़ते प्रभाव की विशेषतया चुनाव के समय। आजकल दल उस सदस्य को अपना उम्मीदवार बनाने का प्रयास करते हैं जो या तो अमीर है या उसके पर अधिक मात्रा में कार्य करने वाले कार्यकर्ता मौजूद है। इसलिए ही कई केसों में तो राष्ट्रीय दल अपराधियों को ही टिकट दे देते हैं । दल चुनाव में बहुमत जीतने का प्रयास करते हैं तथा वह धन तथा अपराधियों की सहायता से चुनाव जीतते हैं।
(घ) विकल्पहीनता की स्थिति :
राजनीतिक दल उन समस्याओं के बारे में चर्चा करते हैं जिनका देश सामना करता है तथा यह अपनी नीतियों के बारे में भी बताते हैं जो इन समस्याओं को सुलझाने में सहायक होती है। यह साधारण जनता को बताते हैं कि उनकी नीतियां और दलों से बेहतर है। परंतु यह दल देश द्वारा सामना किए जाने वाले समस्याओं के मुद्दों पर सहमत होती हैं। अंतर केवल किसी मुद्दे को प्राथमिकता देने का होता है । सभी राजनीतिक दल एक जैसे ही है इसलिए जनता के सामने विकल्पहीनता की स्थिति होती है।
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