1. write a poem or passage on अस्माकं राष्ट्रे कोरोनाप्रभावः
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वि ने इस समय फैली महामारी कोरोना वायरस को इस कविता के माध्यम यह बताना की कोशिश की हमें क्या-क्या करना चाहिए, और कैसे इस बीमारी से बचना चाहिए। कवि ने इस कविता के द्वारा लोगों के बताया कि कैसे हम स्वच्छ रहें। कवि प्रवीण त्रिपाठी ने इस कविता के माध्यम से यह बताया कि इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं पर स्वच्छता और सफाई रखना जरूरी है।
रखो स्वछता अब किसी से डरो ना।
बिना काम के आप घूमो फ़िरो ना।1
सुरक्षा सदा प्राथमिक कार्य हो अब।
प्रसारित नहीं हो सकेगा करोना।2
छिपाओ नहीं व्याधि का शक कभी हो।
स्वतः ध्यान खुद का अकेले धरो ना।3
प्रसारित उपायों का' पालन करो नित।
नहीं भ्रांति कोई हृदय में भरो ना।4
सही सूचना दो सभी को डरे बिन।
विपद विश्व की आज मिल कर हरो ना।5
महामारियाँ प्राण लेतीं अचानक।
बिना जानकारी कभी मत मरो ना।6
भलाई इसी में चिकित्सा करो तुम।
अगर छू गया हो कहीं से कोरोना।7
- प्रवीण त्रिपाठी
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भारतवर्षः
अस्माकं देशः भारतवर्षम् अस्ति । अयं हि हिमालयात् रामेश्वरम् पर्यन्तम् पुरीतः द्धारका पर्यन्तं प्रसृतः अस्ति । अत्र गंगा, यमुना, गोदावरी, ब्रह्यपुत्र प्रभृतयः नद्य: अमृतोपम् तोयं वहन्ति । अत्र काशी, प्रयाग, मथुरा, प्रभृतयः तीर्थनगराणि सन्ति । अत्र कलकत्ता, बम्बई, मद्रास, कानपुर, दुर्गापुर, राउरकेला प्रभृतयः उधोगप्रधानाः नगर्य: सन्ति । अत्रैव राम-कृष्ण-गौतमः जाताः । गाँधी-नेहरू-पटेल प्रमुखा: महापुरुषा: अत्रैव उत्पन्ना: । अयं देशः ग्रामप्रधानः कृषिप्रधानश्च कथ्यते । अस्य देशस्य राष्ट्रभाषा हिन्दी अस्ति या संस्कृतभाषायाः आत्मजा अस्ति ।
हिन्दी अनुवाद :
हमलोगों का देश भारतवर्ष है । यह हिमालय के रामेश्वर से लेकर द्धारका तक फैला हुआ है । यहाँ गंगा, यमुना, गोदावरी, ब्रह्यपुत्र आदि नदियों में अमृत के समान पानी बहती है । यहाँ कशी प्रयाग, मथुरा, आदि तीर्थ नगरे है । यहाँ कोलकाता, बम्बई, मद्रास, कानपुर, दुर्गापुर, राऊरकेला आदि उद्योग प्रधान नगर है । यही राम, कृष्ण, और गौतम जन्म लिए थे । गाँधी नेहरू-पटेल प्रमुख महापुरुष यही उत्पन्न हुऐ थे । यह देश ग्रामप्रधान और कृषिप्रधान है । इस देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी है । यह संस्कृत भाषा की आत्मजा है ।
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anyaaa49 Helping Hand
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Essay on asmakam desh in sanskrit
भारतदेशः अस्माकं देशः अस्ति। अयम् विश्वस्य प्राचीनतमः देशः अस्ति। अयम् आर्याणां देशोSस्ति। अयं ज्ञानस्य धर्मस्य आदिजन्म्भूमि अस्ति। अयं पृथिव्याः स्वर्गः, देवानां पुण्यभूमिः, विश्वस्य शिरोमणि अपि कथ्यते। प्राचीनकाले दुष्यन्तः नामकः सुप्रतापी नृपः आसीत्। तस्य पुत्रः भरतनाम्ना अस्य देशस्य नाम भारतः आसीत्। पर्वतराजहिमालयः अस्य उत्तरस्यां दिशि वर्तते। गंगा-यमुना सदृश्यो नद्यः स्वपावनेन जलेन अस्य देशस्य धरायाः सिञ्चन्ति। अस्य पूर्वेदक्षिणे भागे सागरः भारतस्य चरणौ क्षालयति। अस्माकं देशे अनेके धर्माः, विविधाः सम्प्रदायाः, अनेके उत्सवाः, अनेके भाषाः च सन्ति। अस्यामनेक तायामपि एकतायाः सुमधुरा धारा वहति। यतो वयं सर्वे भारतीयाः स्मः।