Social Sciences, asked by sumitsingh75844, 5 months ago

1 यदि आप सल्तनत काल में इक्तादार होते तो आपको कौन-कौन से कार्य करने होते?​

Answers

Answered by kapilchavhan223
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Explanation:

व्यवस्था का संगठन किया। दिल्ली सल्तनत की राजनैतिक व्यवस्था अपने पूर्वगामी राजपूत सामंती राज्य से भिन्न थी। यह भिन्नता दो तरह से दिखाई देती है। एक तो इक्ता अर्थात हस्तांतरण लगान अधिन्यास और दूसरे शासक वर्ग का स्वरूप। विजेता द्वारा विजित क्षेत्र सैनिकों में बांटना मध्यकालीन भारत की राजनैतिक व्यवस्था थी। इसका स्वरूप सामाजिक और राजनैतिक आवश्यकताओं के अनुसार बदलता रहा। जो क्षेत्र विजित किया जाता था उस क्षेत्र के राजा को अधीनता स्वीकार करनी पड़ती थी या उस क्षेत्र को छोड़कर किसी दूसरे क्षेत्र में जाना पड़ता था। कई क्षेत्रों पर सुल्तान का सीधा नियंत्रण होता था। परंतु अधिकतर क्षेत्र अमीर और सैनिक अधिकारियों में बांट दिए जाते थे।

इक्ता का अर्थ है वह भूखंड है जिसमें आने वाला भू - राजस्व किसी भी अधिकारी या सैनीक का वेतन होता था। यह एक क्षेत्रीय अनुदान था जिसके पाने वाले को मुक्ति , वली और इक्तेदार कहा जाता था। जो नगद वेतन न लेकर भूमि का कुछ भाग लेते थे। इक्ता एक ऐसी संरचना थी जिसमें दो कार्य निहित थे पहला तो भूराजस्व इकट्ठा करना तथा तथा दूसरा उस एकत्रित भू - राजस्व को वेतन के रूप में अपने अधिकारियों को वितरित करना।

सर्वप्रथम इक्ता का प्रचलन अब्बासी खलीफाओं के समय में आरंभ हुआ। खलीफाओं के समय में सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तन के परिणामस्वरुप राज्य की शक्ति में कमी आई। जिसके कारण राज्य के सैनिक तथा असैनिक अधिकारियों के खर्चे को पूरा करने के लिए इक्ता प्रणाली विकसित की गई। वित्तीय कठिनाई से निपटने के लिए सैनिक एवं प्रशासनिक अधिकारियों को भूखंड बांटे जाने लगे जो इक्ता कहलाते थे। इक्ता प्राप्त करने वाले उस भूभाग के मालिक..

Answered by sanket2612
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Answer:

इक्ता सैन्य कमांडरों को उनके वेतन के बदले में दी गई भूमि थी और इन क्षेत्रों के धारकों को इक्तादार या मुक्ती के रूप में जाना जाता था।

खिलजी और तुगलक सम्राटों ने सैन्य कमांडरों को क्षेत्रों के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया।

इन भूमि को इक्ता कहा जाता था और जमींदारों को इक्तादार या मुक्ती कहा जाता था।

मुक्ति की भूमिका सैन्य अभियानों का नेतृत्व करना और उनके इक्ता में शांति और व्यवस्था बनाए रखना था।

इक्तादार या मुक्ती का कर्तव्य अपने इक्ता में कानून और व्यवस्था बनाए रखना था।

अपनी सेवाओं के बदले में, वे वेतन के रूप में अपने असाइनमेंट का राजस्व एकत्र करते थे।

उन्होंने सैनिकों को उनके द्वारा एकत्र किए गए राजस्व से भुगतान भी किया।

नियंत्रण बनाए रखने के लिए इन मुक्तियों को थोड़े समय के लिए इक्ता सौंपा गया था।

#SPJ2

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