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यदि हम वैद्य होते तो कफ और पित्त के सहवर्ती बात की व्याख्या करते तथा भूगोल-वेत्ता होते तो किसी देश
के जल-वात का वर्णन करते, किन्तु दोनों विषयों में से हमें एक बात कहने का भी प्रयोजन नहीं है। हम तो
केवल उसी बात के ऊपर दो-चार बातें लिखते हैं जो हमारे-तुम्हारे संभाषण के समय मुख से निकल-निकल के
परस्पर हृदयस्थ भाव को प्रकाशित करती रहती हैं।
(अ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब)
रेखांकित वाक्य की व्याख्या कीजिए।
यदि हम वैद्य अथवा भूगोलवेत्ता होते तो क्या करते?
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Answer:
अगर हम वैद्य होते तो कफ और पित्त के सहवर्ती बात की व्याख्या करते तथा भूगोल-वेत्ता होते तो किसी देश के जल-वात की व्याख्या करते,
Explanation:
दिए गए कथन से लेखक यह कहने की कोशिश कर रहा है कि वह न तो चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञ है, इसलिए वह विभिन्न कार्यों और शरीर के प्रकारों के बारे में बात कर सकता है जैसे वात और पित्त (वात, पित्त और कफ तीन प्रकार के शारीरिक मुद्दों को परिभाषित किया गया है) आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में), न ही वह भूविज्ञानी या भूगोल में परास्नातक हैं, इसलिए वे किसी भी देश के जल संसाधनों या भौतिक रूपों के बारे में बात कर सकते हैं।
वह एक साधारण व्यक्ति हैं और केवल उन्हीं चीजों के बारे में बात कर सकते हैं और लिख सकते हैं जो वह समझते हैं और दूसरे व्यक्ति के साथ पारस्परिक संवाद से मापते हैं और जो उसके दिल को छूते हैं।
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