1. ययाति कैसे राजा थे? उनकी राजधानी कहाँ थी?
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जिस तरह शहंशाह ने अपनी बेगम की यादव में ताजमहल का निर्माण करवाया, उसी तरह से जाजमऊ के राजा ययाति ने अपनी प्रमिका देवयानी के कहने पर एक भव्य सरोवर की अधारशिला रखी थी और आज भी वह धरोवह कानपूर के मूसानगर में मौजूद है। यहां पर लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करने को आते हैं। बताया जाता है कि राजा शिकार के लिए निकले थे, इसी दौरान कुएं से अंदर से एक युवती की आवाज सुनाई दी। राजा ने अपने सैनिकों को रोक कर कुएं के अंदर देखा तो वहां दैम्य गुरू शुक्राचार्य की बेटह पानी के अंदर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी। ययाति कुएं में छलांग लगा दी और उसे बाहर लाए। राजा को देखते ही देवयानी उन पर फिदा हो गई और दोनों ने विवाह कर लिया। लेकिन विवाह के बाद देवयानी के चलते ययाति को अपनी जवानी भी गवानी पड़ी थी।
जाजमऊ की राजा थे ययाति
इतिहासकार के मुताबिक ययाति, चन्द्रवंशी वंश के राजा नहुष के छः पुत्रों याति, ययाति, सयाति, अयाति, वियाति तथा कृति में से एक थे। ययाति का विवाह शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के साथ हुआ।ं, इतिहासकार मनोज कपूर बताते, हैं कि जाजमऊ राजा ययाति की राजधानी हुआ करती थी। ययाति से ही आगे चंद्रवंश चला जिसमें से यदुओं, तुर्वसुओं, आनवों और द्रुहुओं का वंश चला। जिस तरह बाइबल में याकूब के 12 पुत्रों से इसराइल-अरब की जाति बनी, उसी तरह ययाति के 5 पुत्रों से अखंड भारत (अफगानिस्तान, पाकिस्तान, हिन्दुस्तान, बांग्लादेश, बर्मा, थाईलैंड आदि) की जातियां बनीं। राजा ययाति का किला आज भी जाजमऊ में मौजूद है।