10.1 निम्नलिखित गद्याशों को पढ़कर उनसे संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
बच्चन जी ने बहुत कष्ट देखे थे। बहुत संघर्ष किया था और महाकवि निराला को ही लाइ आँसुओं को भीतर ही
भीतर पीकर उनको ऊर्जा और सौंदर्य में अपनी कविता को सोना बनाया था सष्ट है. इस कारमाध्य प्रक्रिया से वहाँ कलाकार
गुजर सकता है जिसके भीतर दुर्वर्ष जिजीविषा हो। दिल्ली आकर विदेश मंत्रालय में बड़े अधिकारी के रड और हिंदी विरोधी
तेवरों में उन खिन तो किया, लेकिन बच्चन जी ने फिर कविता का आश्रय लिया। अपनी आत्मकथा में उनॉन लिया
भला-बुरा जो भी मेरे सामने आया है, उसके लिए मैंने अपने को ही उत्तरदायी समझा है। गीता पढ़ते हुए मैं दो जगहों या
रुका। एक तो जब भगवान अर्जुन से कहते हैं-अर्जुन, आत्मवान बनो अर्थात् अपने सहज रूप से विकसित गुण-स्वभाव-बक्तित्व
पर टिको दूसरी जगह जब वे कहते हैं कि गुण स्वभाव-प्रकृति को मत छोड़ो। बच्चन जी, तुम भी आत्यवान बनो"
। अनुच्छेद का शीर्षक लिखिए -
बच्चन जी का बचपन कैसे बीता?
बच्चन जी को किस बात ने प्रेरणा दी।
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in english please can't understand Hindiiiiiii
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