(10)
1.निस्रलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए पश्नों के उत्तर लिखिए।
शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है जो तुम्हारे मस्तिष्क में ढूंस दिया गया है और जो आत्मसात हुए बिना वहाँ
आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ मचाया करता है। हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है। जो जीवन
निर्माण, मनुष्य निर्माण तथा चरित्र निर्माण में सहायक हो,यदि आप केवल 5 ही परखे हुए विचार आत्मसात कर उनके
अनुसार अपने जीवन एवं चरित्र का निर्माण कर लेते हैं तो आप पूरे ग्रंथालय को कंठस्थ करने वाले की अपेक्षा अधिक
शिक्षित हैं। शिक्षा और आचरण अन्योन्याश्रित है। बिना आचरण के शिक्षा अधूरी है और बिना शिक्षा के आचरण और
अंततोगत्वा ये दोनों भी अनुशासन के भिन्न रूप हैं। शिक्षा ग्रहण करने के लिए कठोर अनुशासन की आवश्यकता है।
अनुशासन भाषण से नहीं आचरण से आता है। लक्ष्य अनुशासन का सबसे बड़ा प्रेरक है। यदि शिक्षा प्राप्त करने के
लिए किसी ऊंचे लक्ष्य को अपने मन में ठान ले तो अनुशासन दास बनकर उसका अनुगमन करेगा।
क) गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए और शीर्षक की उपयुक्तता पर प्रकाश डालिए।
ख) अनुशासन के दो भिन्न रूप क्या है?
ख) सही मायने में शिक्षित होना क्या है?
घ) अनुशासन कब मनुष्य का दास बन जाता है?
डा) आजन्म में निहित समास का नाम लिखिए।
(2) चरित्र में इक प्रत्यय जोड़कर शब्द बनाइए।
Answers
Answered by
0
Answer:
Play Store shortcut Mein dijiye na
Similar questions