Hindi, asked by 2004mandeepsingh, 5 hours ago

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3 निम्नलिखित गद्यांश की प्रसंग, संदर्भ व विशेष सहित व्याख्या कीजिए - [1+1+2+1=5]
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क्षमा जहाँ से श्रीहत् हो जाती है, वहीं से क्रोध के सौंदर्य का आरम्भ होता है । शिशुपाल की बहुत-
सी बुराइयों तक जब श्रीकृष्ण की क्षमा पहुँच चुकी तब जाकर उसका लौकिक लावण्य फीका पड़ने
लगा और क्रोध की समीचीनता का सूत्रपात हुआ। अपने ही दुःख पर उत्पन्न क्रोध में या तो हमें
तत्काल क्षमा का अवसर या अधिकार ही नहीं रहता अथवा वह अपना प्रभाव खो चुकी रहती है।"
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Answers

Answered by ShreyansDas
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Answer: है, वहीं से क्रोध के  

तत्काल क्षमा का अवसर या अधिकार ही नहीं रहता अथवा वह अपना प्रभाव खो चुकी रहती है।"

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Explanation:

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