10.31 AMD 40 83 4 सुदर सुलख कालए एक अकानधाारत ह। प्रशन--1अपठित गद्यांश को पढ़कर निबंध प्रश्नों के उत्तर दीजिए--(4) नैतिक और सामाजिक मूल्यों को समाज में प्रतिदिन करने के लिए निकले सोपान से कार्य करना होता है। बालक मन में सबसे संस्कारों को जगाना और विकसित करना सरल होता है। बाल्यकाल में तथा शिक्षा काल के दौरान जीवन में जैसे मूल्य को अपनाया जाता है, कालांतर में यह भी हमारे व्यक्तित्व के अंग बन जाते हैं इसी प्रकार जो कुसंस्कार इस अवधि में पड़ जाते हैं बाद में उनसे छुटकारा पाना काफी कठिन हो जाता है क्योंकि वे आदतों का रूप ले लेते हैं। नैतिक शिक्षा संकुचित दृष्टिकोण से मुक्ति दिलाने का माध्यम है न कि पारस्परिक सद्भाव में दरारें बनाने का। दरारें निहित स्वार्थ की पूर्ति के प्रति समर्पित हो जाने के कारण पढ़ती हैं ।अत:शिक्षक को अनुकरणीय अंतर भावी मानव समाज के निर्माण में रचनात्मक योगदान देना होगा अन्यथा नैतिकता के बिना हमारी भौतिक प्रगति व्यर्थ हो जाएगी। क)गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए- ख)किस अवस्था में संस्कारों को विकसित करना सरल होता है? ग)मनुष्य चाहने पर भी बुरे संस्कारों से छुटकारा क्यों नहीं पा सकता? घ)सुखद और स य संस्कारों को मनुष्य की किस अवस्था
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नैतिक और सामाजिक मूल्यों को समाज में प्रतिदिन करने के लिए निकले सोपान से कार्य करना होता है। बालक मन में सबसे संस्कारों को जगाना और विकसित करना सरल होता है। बाल्यकाल में तथा शिक्षा काल के दौरान जीवन में जैसे मूल्य को अपनाया जाता है, कालांतर में यह भी हमारे व्यक्तित्व के अंग बन जाते हैं इसी प्रकार जो कुसंस्कार इस अवधि में पड़ जाते हैं बाद में उनसे छुटकारा पाना काफी कठिन हो जाता है क्योंकि वे आदतों का रूप ले लेते हैं। नैतिक शिक्षा संकुचित दृष्टिकोण से मुक्ति दिलाने का माध्यम है न कि पारस्परिक सद्भाव में दरारें बनाने का। दरारें निहित स्वार्थ की पूर्ति के प्रति समर्पित हो जाने के कारण पढ़ती हैं ।अत:शिक्षक को अनुकरणीय अंतर भावी मानव समाज के निर्माण में रचनात्मक योगदान देना होगा अन्यथा नैतिकता के बिना हमारी भौतिक प्रगति व्यर्थ हो जाएगी। क)गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए- ख)किस अवस्था में संस्कारों को विकसित करना सरल होता है? ग)मनुष्य चाहने पर भी बुरे संस्कारों से छुटकारा क्यों नहीं पा सकता? घ)सुखद और स य संस्कारों को मनुष्य की किस अवस्था