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Lakshmi Srinivas...
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अपठित गद्यांश
गांधीजी के अनुसार शिक्षा शरीर, मस्तिष्क और आत्मा का विकास करने
का माध्यम है। वे 'बुनियादी शिक्षा के पक्षधर थे| उनके अनुसार प्रत्येक
बच्चे को अपनी मातृभाषा की निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा मिलनी
चाहिए जो उसके आस-पास की जिंदगी पर आधारित हो; हस्तकला एवं
काम के जरिए दी जाए; रोजगार दिलाने के लिए बच्चे को आत्मनिर्भर
बनाए तथा मैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करने वाली हो|
गारिजी के उक्त विचारों से स्पष्ट है कि वे व्यक्ति और समाज के संपूर्ण
जीवन पर अपनी मौलिक दृष्टि रखते थे तथा उन्होंने अपने जीवन में
सामाजिक एवं राजनीतिक अांदोलनों में भाग लेकर भारतीय समाज एवं
राजनीति में इन मूल्यों को स्थापित करने की कोशिश की| गांधीजी की
सहहरी सोच भारतीय परंपरा की सोच है तथा उनके दिखाए मार्ग को
अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति और संपूर्ण राष्ट्र वास्तविक स्वतंत्रता, सामाजिक
सन्दाव एवं सामुदायिक विकास को प्राप्त कर सकता है| भारतीय समाज
जब-जब भटकैगा तबतबांधीजी उसका मार्ग दर्शन करने में सक्षम
रहेंगे|
अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-
(अ) गांधीजी के अनुसार प्रत्येक बच्चे को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी
चाहिए
(ब) 'गांधीजी के उक्त विचारों से स्पष्ट है कि व्यक्ति और समाज के सपर्ण
जीवन पर अपनी मौलिक दृष्टि रखते थे' यह किस प्रकार का वाक्य
बताते हुए परिभाषा भी लिखे|
(स) सामाजिक शब्द में मूल शब्द व प्रत्यय बताइए।
(द) अपठित गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
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PRASTRIYA
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