10. आज के इस आधुनिक परिवेश में संयुक्त परिवारों की जगह एकल परिवारों ने ले ली है। एकल परिवार
के पक्ष-विपक्ष पर विवरण कीजिए।
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एकल परिवार के फायदे एवं नुकसान
पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित हो भारतीय समाज बहुत तेजी से अपनी मौलिक व्यवस्थाओं में परिवर्तन ला रहा है. संयुक्त परिवार जो कभी भारतीय सामाजिक व्यवस्था की नींव हुआ करते थे, आज पूरी तरह विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बदलते आर्थिक परिवेश में लोगों की प्राथमिकताएं मुख्य रूप से प्रभावित हो रही हैं. मनुष्य का एकमात्र ध्येय केवल व्यक्तिगत हितों की पूर्ति करना ही रह गया है. अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए वह अपने परिवार के साथ को भी छोड़ने से पीछे नहीं रहता. इसके अलावा व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बढ़ती मांग भी परिवारों के टूटने का कारण बनती है.
July 11, 2011
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भौतिकवाद से ग्रसित आज की भागती दौड़ती जीवनशैली की विडंबना ही यही है कि परिवारों का स्वरूप जितना छोटा होता जा रहा है, व्यक्ति के पास अपने परिवार को देने के लिए समय में भी उतनी ही कमी आने लगी है. कुछ समय पहले तक जब मनुष्य की आर्थिक जरूरतें सीमित थीं, परिवारों के स्वरूप कितने ही विस्तृत क्यों न हों, उसके पास अपने परिवार के लिए पर्याप्त समय अवश्य होता था, लेकिन प्रतिस्पर्धा प्रधान युग में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ के चलते ऐसे हालात पैदा हो गए हैं कि पारिवारिक सदस्यों की उपयोगिता और उनका महत्व भी मनुष्य को अब गौण लगने लगा है.
आर्थिक स्वावलंबन और आत्म-निर्भरता कुछ ऐसे कारण हैं जिनके परिणामस्वरूप संयुक्त परिवार की संख्या में लगातार कमी आने लगी है. क्योंकि पहले जहां पारिवारिक सदस्य अपनी हर छोटी-मोटी जरूरतों के लिए एक-दूसरे पर निर्भर करते थे, वहीं अब लोग पूर्ण रूप से खुद पर ही आश्रित होने लगे हैं, साथ ही बढ़ती महंगाई और सहनशीलता की कमी भी इस विघटन के लिए उत्तरदायी साबित हुए हैं. ऐसी परिस्थितियों के फलस्वरूप संयुक्त परिवारों का स्थान पूर्ण रूप से एकल परिवारों ने हथिया लिया है. इसके अलावा लोगों की संकीर्ण होती मानसिकता भी ऐसे छोटे-छोटे और सीमित परिवारों के उद्भव और विकास में काफी सहायक होती हैं. सामुदायिक हितों की बात ही छोड़िए, अपने माता-पिता की जिम्मेदारी भी मनुष्य को बोझ लगने लगी है.
एकल परिवार से तात्पर्य ऐसी पारिवारिक संरचना से है जिसमें केवल पति-पत्नी और उनके बच्चे ही शामिल होते हैं. इसके साथ ही परिवार का मुखिया भी केवल इन्हीं लोगों के प्रति उत्तरदायी होता है. एकल परिवारों के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि पति-पत्नी दोनों ही अब आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहना चाहते हैं, जिसके चलते खुद से संबंधित किसी भी मसले में दूसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप सहन नहीं किया जाता.