10 examples of visarg Sandhi
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Visarga Sandhi Rules
(क) विसर्ग के पहले यदि ‘अ’ और बाद में भी ‘अ’ अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे पाँचवें वर्ण, अथवा य, र, ल, व हो तो विसर्ग का ओ हो जाता है। जैसे-
मनः + अनुकूल = मनोनुकूल ।
अधः + गति = अधोगति ।
मनः + बल = मनोबल ।
(ख) विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण अथवा य्, र, ल, व, ह में से कोई हो तो विसर्ग का र या र् हो जाता है। जैसे-
निः + आहार = निराहार ।
निः + आशा = निराशा ।
निः + धन = निर्धन ।
(ग) विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है। जैसे-
निः + चल = निश्चल ।
निः + छल = निश्छल ।
दुः + शासन = दुश्शासन ।
(घ)विसर्ग के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग स् बन जाता है। जैसे-
नमः + ते = नमस्ते ।
निः + संतान = निस्संतान ।
दुः + साहस = दुस्साहस ।
(ड़) विसर्ग से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ष हो जाता है। जैसे-
निः + कलंक = निष्कलंक ।
चतुः + पाद = चतुष्पाद ।
निः + फल = निष्फल ।
(ड)विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। जैसे-
निः + रोग = निरोग ।
निः + रस = नीरस ।
(छ) विसर्ग के बाद क, ख अथवा प, फ होने पर विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता। जैसे-
अंतः + करण = अंतःकरण