10 family members name in Sanskrit
1. पितामहः = दादा
2.पितामही = दादी
3.मातामहः = नाना
4.मातामही = नानी
5.जनकः = पिता
6.जननी = माता
7.कनिष्ठभ्राता= छोटा भाई
8.ज्येष्ठभ्राता = बड़ा भाई
9.ज्येष्ठभगिनी = बड़ी बहन
10.कनिष्ठभगिनी = छोटी बहन
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Thanks
Explanation:
Thanks for telling this because I know these in hindi and English only.
But what we tell girl friend in sanskrit
Answer:
1. पितामहः = दादा
2.पितामही = दादी
3.मातामहः = नाना
4.मातामही = नानी
5.जनकः = पिता
6.जननी = माता
7.कनिष्ठभ्राता= छोटा भाई
8.ज्येष्ठभ्राता = बड़ा भाई
9.ज्येष्ठभगिनी = बड़ी बहन
10.कनिष्ठभगिनी = छोटी बहन
Explanation:
संस्कृत दुनिया की सभी परिष्कृत भाषाओं में सबसे पुरानी है। वैदिक और अन्य महान साहित्य के कारण यह निश्चित रूप से विश्व की सभी भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ है। धार्मिक दृष्टि से उन्हें "देववाणी" या "सुर-भारती" भी कहा जाता है। हिंदू धर्म के सभी शास्त्र इसी भाषा में लिखे गए हैं और माना जाता है कि यह ऋषियों और देवताओं से उत्पन्न हुआ है। इसलिए, इससे जुड़े होने के कारण, उन्हें देववाणी कहा जाता है। देवताओं का आह्वान करने के लिए मंत्र आदि इसी भाषा में रचे गए। इन मंत्रों में अपार शक्ति है। दूसरे शब्दों में, देवता इस भाषा को समझते और बोलते हैं, ऐसी हिंदू धर्म की मान्यता है। दंडी ने काव्यदर्श में लिखा है-
दिव्य वागणवख्याता महर्षिभि का संस्कृत नाम:।
भाषासु मघुरा मैं दिव्य गिरवन भारती॥
विश्व के प्रथम ग्रन्थ ऋग्वेदादि की रचना महर्षि ने इसी महिमामयी वाणी में ईश्वर की अन्तःप्रेरणा से की थी। इस भाषा में उपनिषदों का पाठ किया जाता था, जो गंभीर आध्यात्मिक रहस्यों को सुलझाते हैं। सृष्टि के विकास और प्रलय का वर्णन करने वाले ऐतिहासिक ग्रंथ, पुराण आदि भी इसी भाषा में रचे गए। हमारे आर्य पूर्वजों की उत्कृष्ट संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराएं भी इसी सुर भारती में उतरी हैं। इस प्रकार सांसारिक उत्थान के साधन और निष्कलंक सिद्धियों के पारलौकिक, समस्त ज्ञान, कर्मकांड, शास्त्र-पुराण आदि इस दिव्य वाणी में अवतरित हुए।
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