10. हम अनिकेतन , हम अनिकेतन। हम तो रमते राम , हमारा क्या घर , क्या दर , कैसा वेतन? अब तक इतनी यों ही काटी , अब क्या सीखें नव परिपाटी , कौन बनाए आज घरौंदा , हाथों चुन-चुन कंकड़-माटी , ठाठ फकीराना है अपना, बाघम्बर सोहे अपना तन। देखे महल , झोपड़े देखे , देखे हास- विलास मजे के , संग्रह के सब विग्रह देखे , जँचे नहीं कुछ अपने लेखे , हम क्यों सने ईंट गारे में , हम क्यों बने व्यर्थ बेमन।
10.'बाघम्बर सोहे अपने तन ' काभ क्या अर्थ है ?
(क) सूती वस्त्र
(ख) रेशमी वस्त्र
(ग) शेर की खाल
(घ) ऊनी वस्त्र
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- rashmi wastre
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